सुप्रीम कोर्ट ने वोडाफोन आइडिया और एयरटेल की AGR ब्याज माफी याचिका खारिज की
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वोडाफोन आइडिया Vodafone Idea और भारती एयरटेल Bharti Airtel की एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) ड्यूज पर ब्याज माफ करने की याचिका खारिज कर दी। जस्टिस जेबी पारदीवाला और आर महादेवन की पीठ ने इन याचिकाओं को “गलतफहमी पर आधारित” बताते हुए खारिज किया।
मुख्य बिंदु:
वोडाफोन आइडिया की याचिका:
कंपनी ने ₹45,000 करोड़ के AGR ड्यूज पर ब्याज माफी की मांग की थी।
सरकार ने पहले ही उसके ₹39,000 करोड़ के ड्यूज को इक्विटी में बदल दिया है, लेकिन अभी भी ₹1.19 लाख करोड़ (स्पेक्ट्रम + AGR) बकाया है।
कोर्ट ने याचिका को “चौंकाने वाला” और “निराधार” करार दिया।
एयरटेल की याचिका:
भारती एयरटेल और भारती हेक्साकॉम ने ₹34,745 करोड़ के AGR ड्यूज पर ब्याज और जुर्माना माफ करने की गुहार लगाई।
कोर्ट ने इसे भी खारिज कर दिया।
सरकार और कोर्ट का रुख:
टेलीकॉम विभाग (DoT) ने पहले ही साफ किया था कि 2020 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद AGR ड्यूज में कोई और छूट नहीं दी जाएगी।
कोर्ट ने 2019 में AGR की गणना को लेकर विवाद खत्म कर दिया था और 2020 में 10 साल में किस्तों में भुगतान का आदेश दिया था।
टेल्को कंपनियों की 20 साल की मोहलत की मांग भी पहले खारिज हो चुकी है।
पृष्ठभूमि:
AGR विवाद 2005 से चल रहा था, जिसमें टेल्को कंपनियों ने लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम शुल्क की गणना को चुनौती दी थी।
2019 में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया और ₹1.47 लाख करोड़ के AGR ड्यूज का भुगतान करने का आदेश दिया।
2024 में वोडाफोन आइडिया की करेटिव पिटीशन भी खारिज हो चुकी है।
बाजार पर प्रभाव:
कोर्ट के फैसले के बाद वोडाफोन आइडिया के शेयर 9% गिरकर ₹6.70 पर पहुंच गए।
एयरटेल पर असर सीमित रहा, क्योंकि उसने ज्यादातर AGR ड्यूज का भुगतान कर दिया है।
आगे क्या?
वोडाफोन आइडिया के लिए वित्तीय दबाव बढ़ने की आशंका, क्योंकि अब उसे ब्याज सहित पूरा भुगतान करना होगा।
सरकार ने इक्विटी में बदलकर कंपनी को बचाया है, लेकिन नेटवर्क अपग्रेड और 5G में निवेश की चुनौती बनी हुई है।
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