देश के सर्वोच्च न्यायलय ने वर्ष 2023 में 52,191 मामलों का निपटारा किया है, जिनमें पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधान खत्म करने के केंद्र के फैसले को मंजूरी देने वाली ऐतिहासिक व्यवस्था और समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता देने से इनकार करना शामिल है। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक, निपटाए गए मामलों की संख्या पूरे वर्ष के दौरान इसकी रजिस्ट्री में दायर किए गए 49,191 मामलों से 3,000 अधिक रही।
सुप्रीम कोर्ट ने बताया की इस वर्ष 2023 में 15 दिसंबर तक 49,191 केस फाइल किए गए। सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान कुल 52,191 केस का निपटारा किया। पिछले साल की बात करें तो सुप्रीम कोर्ट में 36,565 केस फाइल हुए थे और कोर्ट ने 39,800 केसों का निपटारा किया। हालांकि, मामलों के निपटारे में तेजी के बजाय लंबित केस अभी भी CJI और कोर्ट रजिस्ट्री के लिए एक बड़ी चुनौती हैं। सुप्रीम कोर्ट में करीब 80 हजार केस वर्षों से लंबित हैं।
कोर्ट की ओर से जारी प्रेस रिलीज में कहा गया है, ‘एक और उपलब्धि में, भारत के सुप्रीम कोर्ट ने एक जनवरी, 2023 से 15 दिसंबर, 2023 तक 52,191 मामलों का निपटारा किया। इनमें 45,642 विविध मामले और लगभग 6,549 नियमित मामले शामिल हैं।’
इसमें कहा गया है, ‘वर्ष 2023 में कुल 49,191 मामले पंजीकृत हुए और 52,191 का निपटारा किया गया। इससे पता चलता है कि इस वर्ष सुप्रीम कोर्ट ने 2023 के दौरान दर्ज मामलों की तुलना में अधिक मामलों का निपटान किया।’
वर्ष 2017 में ICMIS (Integrated Case Management Information System) लागू होने के बाद से, 2023 में सर्वाधिक मामलों का निपटारा किया गया है। प्रेस रिलीज में कहा गया है कि भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डॉ डी वाई चंद्रचूड़ ने मामलों को दाखिल करने और सूचीबद्ध करने के लिए आवश्यक समय-सीमा को दुरुस्त किया है।
इसमें कहा गया है, ‘उनके कार्यकाल में, मामलों को सूचीबद्ध करने की प्रक्रिया में उल्लेखनीय बदलाव आया। मामले के सत्यापन के बाद सूचीबद्ध होने और दाखिल करने तक का समय 10 दिन से घटाकर सात से पांच दिन कर दिया गया है।’
इसमें कहा गया है ‘इसके अतिरिक्त, सुप्रीम कोर्ट ने मामलों की अधिक संख्या को देखते हुए विभिन्न कदम उठाए जिससे कानूनी विवादों के समाधान में तेजी आई। मामलों की विशिष्ट श्रेणियों को देखते हुए निपटारे के लिए विशेष पीठों का गठन किया गया, जिससे अधिक विशिष्ट और कुशल न्याय प्रक्रिया को बढ़ावा मिला।’