सुप्रीम कोर्ट ने बिटकॉइन घोटाले के 20 हजार करोड़ रुपये के आरोपी को फटकार लगाते हुए ईडी के साथ जानकारी साझा करने को कहा-

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“सुप्रीम कोर्ट की गरिमा को बनाए रखना होगा। हम कोई तीस हजारी कोर्ट नहीं हैं।”

ज्ञात हो की वर्ष 2018 में यह 2 हजार करोड़ का गेन बिटकॉइन घोटाला मामला अब 20 हजार करोड़ रुपये का हो चुका है। इसमें आरोपी अमित भारद्वाज के भाई अजय भारद्वाज ने अपने खिलाफ दर्ज मुकदमों को रद्द करने की मांग करते हुए।

सुप्रीम कोर्ट Supreme Court ने सोमवार को गेन बिटकॉइन Gain Bitcoin घोटाले के आरोपी अजय भारद्वाज को क्रिप्टोकरेंसी वॉलेट Cryptocurrency Wallet के यूजरनेम और पासवर्ड की जानकारी को प्रवर्तन निदेशालय Enforcement Directorate के साथ साझा करने के अपने निर्देश का पालन नहीं करने के लिए फटकार लगाई।

एनफोर्समेंट डिरेक्टरटे (ED) की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भारद्वाज ने न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत वाली पीठ से कहा कि भारद्वाज जांच एजेंसी के साथ सहयोग नहीं कर रहे हैं और उन्होंने क्रिप्टो करेंसी वॉलेट का यूजरनेम और पासवर्ड साझा नहीं किया है।

ईडी ने एक स्टेटस रिपोर्ट में कहा कि 28 मार्च को शीर्ष अदालत के समक्ष सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने बयान दिया था कि सामग्री (कंटेंट) का कुछ हिस्सा पुणे पुलिस के कब्जे में है और याचिकाकर्ता ने प्रासंगिक विवरण का खुलासा किया है।

भाटी ने अपनी दलील में आगे कहा, “याचिकाकर्ता किसी भी समय पुणे पुलिस के सामने पेश नहीं हुआ और न ही अपराध से संबंधित कोई विवरण/सामग्री दत्तावाड़ी पुलिस स्टेशन और निगडी पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई गई है और याचिकाकर्ता की दलील पूरी तरह से झूठी और भ्रामक है।”

भाटी ने कहा कि बिटकॉइन धोखाधड़ी सामान्य बैंकिंग चैनलों के माध्यम से नहीं है और वॉलेट्स परिवार के सदस्यों के पास हैं। भारद्वाज से हिरासत में पूछताछ की मांग करते हुए भाटी ने कहा, “यहां कार्यवाही पीएमएलए, आईपीसी के तहत है। बिटकॉइन एक परिसंपत्ति वर्ग (एसेट क्लास) के रूप में कर योग्य हैं। यह एक पोंजी योजना है।”

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न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने भारद्वाज के वकील से कहा, “सुप्रीम कोर्ट की गरिमा को बनाए रखना होगा। हम कोई तीस हजारी कोर्ट नहीं हैं।”

भारद्वाज से यूजरनेम (उपयोगकर्ता का नाम) और पासवर्ड साझा करने के लिए कहते हुए, पीठ ने कहा, “आपको ये देना होगा और आप अदालत के साथ खेल नहीं सकते हैं। हमने अपने अंतिम आदेश में रिकॉर्ड किया था। हमें इसे गैर-अनुपालन के लिए खारिज करना होगा। नहीं तो आप सोचेंगे कि सुप्रीम कोर्ट तो एक जिला अदालत है, जहां आप सभी खेल खेल सकते हैं।”

शीर्ष अदालत ने 28 मार्च को भारद्वाज से कहा था कि वह ईडी को अपने क्रिप्टो वॉलेट के यूजरनेम और पासवर्ड का खुलासा करें। यह जानने के बाद कि भारद्वाज अपने वकील की मौजूदगी में जानकारी साझा करने को तैयार हैं, पीठ ने उनके वकील से कहा, “यह क्या है? मैं चाहता हूं कि वकील पासवर्ड दे? पहले आदेश का पालन करें। आपको पासवर्ड के लिए हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की आवश्यकता नहीं है।”

भारद्वाज के वकील ने दलील दी कि पुणे पुलिस अधिकारियों ने 2 क्रिप्टो वॉलेट का पासवर्ड बदल दिया था और 1,200 बिटकॉइन ट्रांसफर कर दिए थे। इसके बाद पीठ ने जवाब दिया, “आपके पास जो कुछ भी है, कृपया जमा करें।”

शीर्ष अदालत भारद्वाज द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उनके खिलाफ मामले को रद्द करने की मांग की गई थी। वह, अपने भाई अमित भारद्वाज (कथित मास्टरमाइंड, जिनकी हाल ही में मृत्यु हो गई) के साथ निवेशकों को भारी रिटर्न का वादा करने वाली एक बहु-स्तरीय मार्केटिंग स्कीम चलाने के आरोपी हैं।

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ईडी ने अपनी स्टेट्स रिपोर्ट में कहा, “अब तक की गई जांच से पता चला है कि अमित भारद्वाज ने याचिकाकर्ता, विवेक भारद्वाज, महेंद्र भारद्वाज और अन्य यानी मल्टी-लेवल मार्केटिंग एजेंटों और सहयोगियों की मिलीभगत से अपराध की आय के रूप में 80,000 बिटकॉइन एकत्र किए हैं।”

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