आरक्षित फैसलों में देरी पर सुप्रीम कोर्ट गंभीर, सभी उच्च न्यायालयों से रिपोर्ट तलब
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आरक्षित किए गए मामलों में फैसलों में हो रही अत्यधिक देरी पर गहरी चिंता व्यक्त की और देश के सभी उच्च न्यायालयों के रजिस्ट्रार जनरलों को निर्देश दिया कि वे 31 जनवरी 2025 या उससे पहले आरक्षित किए गए मामलों में अब तक न सुनाए गए फैसलों की जानकारी एक माह के भीतर प्रस्तुत करें।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. के. सिंह की खंडपीठ ने झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा 67 आपराधिक अपीलों में निर्णय आरक्षित किए जाने के बाद भी अब तक फैसला न सुनाए जाने पर आश्चर्य जताया। पीठ ने स्पष्ट किया कि न्यायिक निर्णयों में इस प्रकार की अनावश्यक देरी स्वीकार्य नहीं है और यह न्यायिक प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है।
पीठ ने कहा, “यह अत्यंत चिंताजनक स्थिति है। हम इस विषय पर अनिवार्य दिशा-निर्देश तय करना चाहेंगे, ताकि भविष्य में इस प्रकार की स्थिति उत्पन्न न हो। इसे ऐसे ही नहीं चलने दिया जा सकता।”
यह निर्देश उस याचिका पर सुनवाई के दौरान आया, जिसमें चार दोषियों ने शिकायत की थी कि उनकी आपराधिक अपीलों पर झारखंड उच्च न्यायालय में दो-तीन वर्ष पूर्व सुनवाई पूरी हो चुकी थी, परंतु आज तक निर्णय नहीं सुनाया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल की ओर से प्रस्तुत रिपोर्ट का अवलोकन किया, जिसमें यह स्वीकार किया गया कि जनवरी 2022 से दिसंबर 2024 के मध्य डिवीजन बेंच द्वारा सुनी गई 56 आपराधिक अपीलों पर आदेश सुरक्षित रखा गया था, परंतु निर्णय नहीं सुनाया गया। एकल पीठ के समक्ष 11 आपराधिक अपीलों में भी यही स्थिति रही।
इस पृष्ठभूमि में शीर्ष अदालत ने न केवल झारखंड उच्च न्यायालय, बल्कि सभी उच्च न्यायालयों से यह विवरण माँगा है कि 31 जनवरी 2025 तक आरक्षित किए गए किन-किन मामलों में निर्णय लंबित हैं।
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