कोर्ट मैनेजरों की सेवाएं नियमित करने हेतु सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण आदेश: उच्च न्यायालयों को भर्ती व सेवा शर्तों हेतु नियम बनाने के निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के उच्च न्यायालयों को कोर्ट मैनेजरों की नियुक्ति और सेवा शर्तों को लेकर स्पष्ट और समयबद्ध निर्देश जारी किए हैं। शीर्ष अदालत ने कहा है कि कोर्ट मैनेजर न्यायाधीशों को प्रशासनिक कार्यों में सहयोग देकर न्यायिक दक्षता में वृद्धि करते हैं, अतः उनकी सेवाओं का नियमितीकरण आवश्यक है।
मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई, न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने All India Judges Association & Others v. Union of India & Others मामले में सुनवाई करते हुए यह निर्णय सुनाया।
🔹 कोर्ट का निर्देश: तीन माह में नियम बनाएं व सेवाएं नियमित करें
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि—
“उच्च न्यायालय तीन माह की अवधि के भीतर कोर्ट मैनेजरों की भर्ती और सेवा शर्तों से संबंधित नियम बनाएँ या संशोधित करें, जिन्हें संबंधित राज्य सरकारों की स्वीकृति के लिए भेजा जाए। राज्य सरकारें प्राप्त नियमों को तीन माह के भीतर स्वीकृत करें।”
साथ ही, पीठ ने स्पष्ट किया कि उच्च न्यायालयों के रजिस्ट्रार जनरल और राज्य सरकारों के मुख्य सचिव व्यक्तिगत रूप से इन समयसीमाओं का पालन सुनिश्चित करेंगे।
🔹 वर्तमान में कार्यरत कोर्ट मैनेजरों की सेवा जारी रहेगी
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि जो कोर्ट मैनेजर वर्तमान में संविदा, समेकित वेतन या अस्थायी आधार पर कार्यरत हैं, उनकी सेवाएं निरंतर जारी रखी जाएंगी और उन्हें “सूटेबिलिटी टेस्ट” पास करने की शर्त पर नियमित किया जाएगा।
🔹 पृष्ठभूमि: 13वें वित्त आयोग की सिफारिशों से प्रारंभ हुआ था पद
कोर्ट मैनेजर पद की परिकल्पना 13वें वित्त आयोग (2010–2015) द्वारा की गई थी ताकि जजों को प्रशासनिक सहायता प्रदान कर न्यायालयीन प्रबंधन को सशक्त किया जा सके। इसके बाद द्वितीय राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग (SNJPC) की रिपोर्ट और 2018 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश में भी उनकी भूमिका और सेवा शर्तों को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए गए थे।
फिर भी, कई उच्च न्यायालयों और राज्य सरकारों द्वारा अब तक नियम नहीं बनाए गए या लंबित रखे गए। इस स्थिति को देखते हुए Court Manager Welfare Association और अन्य याचिकाकर्ताओं द्वारा याचिकाएं दाखिल की गई थीं, जिनमें सेवा शर्तों में समानता, बेहतर वेतनमान और भत्तों की मांग की गई थी।
🔹 महत्वपूर्ण निर्देश:
- नियमों का प्रारूपण: सभी उच्च न्यायालय “असम नियम, 2018” को मॉडल मानकर नियम बनाएँ।
- राज्य सरकारों की स्वीकृति: उच्च न्यायालय द्वारा बनाए गए नियमों को तीन माह में राज्य सरकारें स्वीकृत करें।
- न्यूनतम पद: कोर्ट मैनेजर का दर्जा Class-II गजेटेड अधिकारी के समकक्ष होगा।
- कार्य प्रणाली:
- उच्च न्यायालय में नियुक्त कोर्ट मैनेजर रजिस्ट्रार जनरल के अधीन कार्य करेंगे।
- जिला न्यायालयों में नियुक्त मैनेजर संबंधित रजिस्ट्रार या अधीक्षक के नियंत्रण में रहेंगे।
- सेवा का नियमितीकरण: वर्तमान में कार्यरत सभी कोर्ट मैनेजरों की सेवाएं उपयुक्तता परीक्षा पास करने पर नियमित की जाएंगी।
🔹 न्यायालय की टिप्पणी:
पीठ ने यह भी टिप्पणी की कि—
“SNJPC की रिपोर्ट और 2018 के न्यायिक आदेश के बावजूद, कई उच्च न्यायालय और राज्य सरकारें अब तक नियम बनाने या स्वीकृत करने में असफल रही हैं, जो न्यायिक प्रशासन के लिए अत्यंत खेदजनक है।”
🔹 निष्कर्ष:
यह निर्णय देश की न्यायिक प्रणाली की प्रशासनिक दक्षता को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। कोर्ट मैनेजरों की वित्तीय सुरक्षा, पेशेवर सम्मान और स्थायित्व सुनिश्चित करने हेतु यह आदेश लंबे समय से लंबित मांगों को पूरा करता है।
📌 मामला: All India Judges Association & Others v. Union of India & Others
📜 तटस्थ उद्धरण: 2025 INSC 713
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