स्वाति मालीवाल हमला मामला- “क्या मुख्यमंत्री का सरकारी बंगला इस तरह के गुंडों को रखने के लिए जरुरी है?”: सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया

स्वाति मालीवाल हमला मामला- “क्या मुख्यमंत्री का सरकारी बंगला इस तरह के गुंडों को रखने के लिए जरुरी है?”: सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के करीबी सहयोगी बिभव कुमार द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) में सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है। कुमार की गिरफ्तारी राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद हुई है, जिसमें उन्होंने उन पर हमला करने का आरोप लगाया है। कुमार ने इस मामले में जमानत मांगी है।

नोटिस जारी करते हुए जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस उज्ज्वल भुयान की बेंच ने कुमार के वरिष्ठ वकील से पूछा, “क्या मुख्यमंत्री का सरकारी बंगला निजी आवास है? क्या इस तरह के गुंडों को रखने के लिए उस कार्यालय की आवश्यकता है?”

शुरुआत में, कुमार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, “सत्र न्यायालय को जमानत दे देनी चाहिए थी, यह आपके पास नहीं आना चाहिए था।” एफआईआर का हवाला देते हुए सिंघवी ने कहा कि कुमार के खिलाफ पांच आरोप हैं, और तर्क दिया, “एमएलसी रिपोर्ट जो दायर नहीं की जा सकी, उसमें कहा गया है कि यह खतरनाक नहीं है, साधारण है, दो चोटें हैं, एक दाहिने गाल पर, एक बाएं पैर पर। यह उनके आरोपों के बिल्कुल विपरीत है।”

स्वाति मालीवाल पिटाई कांड में बिभव कुमार की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कई बड़ी टिप्पणी की है। देश की सबसे बड़ी अदालत ने यहां तक कहा कि सीएम आवास क्या गुंडों को रखने के लिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘उन्होंने (बिभव कुमार) गुंडे की तरह काम किया और मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास में घुसा। उसने तब भी महिला पर हमला किया जब उसने अपनी शारीरिक स्थिति बता दी थी।’ कोर्ट ने पूछा कि एक महिला पर इस तरह हमला करते हुए उन्हें शर्म नहीं आई?

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जस्टिस दीपांकर दत्ता, जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस उज्जल भुइंया की बेंच ने गुरुवार को बिभव कुमार की जमानत याचिका पर सुनवाई की। बिभव कुमार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अपने मुवक्किल के लिए राहत की मांग करते हुए कहा कि शिकायत तीन दिन बाद दर्ज की गई। उन्होंने यह भी कहा कि मालीवाल के आरोप मनगढंत और झूठे हैं। कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाते हुए कई तीखी टिप्पणियां की। अदालत ने दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा है।

सिंघवी ने कहा, ‘पहले दिन वह पुलिस के पास गईं लेकिन कोई शिकायत नहीं दी। फिर तीन दिन बाद ऐसा किया।’ इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, ‘ इस पर क्या कहें कि उन्होंने 112 पर कॉल किया? यह आपके दावे को झुठलाता है कि उन्होंने मनगढ़ंत कहानी रची।’ कोर्ट ने कहा, ‘क्या सीएम का आधिकारिक आवास निजी घर है? क्या इस तरह के नियमों की आवश्यकता है? हम हैरान हैं, यह छोटे या बड़े जख्म की बात नहीं है। हाई कोर्ट ने सही तरीके से सभी चीजों को रखा है।’

यह मामला आप की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल द्वारा लगाए गए आरोपों से संबंधित है, जिन्होंने दावा किया था कि कुमार ने 13 मई, 2024 को सीएम आवास पर उनके साथ मारपीट की थी। मालीवाल की शिकायत के आधार पर, पुलिस ने गैर इरादतन हत्या के प्रयास, कपड़े उतारने के इरादे से हमला, गलत तरीके से रोकना, आपराधिक धमकी और महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के आरोपों पर प्राथमिकी दर्ज की थी।

अपनी शिकायत में, मालीवाल ने आरोप लगाया था कि 13 मई को जब वह केजरीवाल से मिलने गई थीं, तब बिभव कुमार ने सीएम आवास पर बिना किसी उकसावे के उन्हें सात से आठ बार थप्पड़ मारे थे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बिभव कुमार ने उन्हें थप्पड़ मारे, उनकी छाती और श्रोणि पर लात मारी और जानबूझकर उनकी शर्ट ऊपर खींची।

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वाद शीर्षक – बिभव कुमार बनाम दिल्ली राज्य एनसीटी
वाद संख्या – एसएलपी (सीआरएल) संख्या 9817/2024

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