तेलंगाना HC ने ‘तेलंगाना किन्नर अधिनियम’ को रद्द करते हुए कहा कि ‘यह ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के मानवाधिकार का उल्लंघन है..’

तेलंगाना HC ने ‘तेलंगाना किन्नर अधिनियम’ को रद्द करते हुए कहा कि ‘यह ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के मानवाधिकार का उल्लंघन है..’

तेलंगाना उच्च न्यायालय (Telangana High Court) ने एक याचिका की सुनवाई के बाद ‘तेलंगाना किन्नर अधिनियम’ (Telangana Eunuchs Act) को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया है। उनका ऐसा मानना है कि यह अधिनियम ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के मानवाधिकारों का उल्लंघन करता है।

इस अधिनियम को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द करने के साथ-साथ अदालत ने ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के हित का ध्यान रखते हुए सरकार को कुछ निर्देश भी दिए हैं। इस अधिनियम को खारिज करने के लिए ही याचिका दायर की गई थी जिसका राज्य ने विरोध भी किया था।

Telangana HC ने रद्द किया यह एक्ट-

तेलंगाना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां (Justice Ujjal Bhuyan) और न्यायमूर्ति सी वी भास्कर रेड्डी (Justice CV Bhaskar Reddy) की पीठ ने ‘तेलंगाना किन्नर अधिनियम’ को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया है।

पीठ ने अपने जजमेंट में यह कहा है कि उनके हिसाब से यह अधिनियम तीसरे लिंग के समुदाय के मानवाधिकारों का उल्लंघन करता है, यह उनकी निजी ज़िंदगी में दखल देता हा और उनकी गरिमा पर भी हमला कर है।

अदालत ने अपने निर्णय में यह भी कहा गया है कि ‘तेलंगाना किन्नर अधिनियम’ ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के निजता के अधिकार (Right to Privacy) और गरिमा के अधिकार (Right to Dignity) के लिए आक्रामक है। इतना ही नहीं, यह अधिनियम भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 (Article 14) और अनुच्छेद 21 (Article 21) का भी उल्लंघन करता है।

अदालत ने सरकार को दिया ये निर्देश-

ज्ञात हो कि इस अधिनियम को असंवैधानिक बताकर रद्द करने के साथ-साथ अदालत ने केंद्र और राज्य सरकार को यह निर्देश भी दिया है कि वो शैक्षिक दाखिलों (Educational Admissions) और सार्वजनिक रोजगार (Public Employment) में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के आरक्षण का प्रबंध करें। तेलंगाना उच्च न्यायालय ने सरकार को यह निर्देश भी दिया है कि वो 2014 में तेलंगाना में लाई गई ‘आसरा पेंशन स्कीम’ (Aasara Pension Scheme) के लाभ उठाने की सुविधा ट्रांसजेंडर लोगों को भी दें।

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क्या है तेलंगाना किन्नर अधिनियम?

जानकारी हो कि ‘तेलंगाना किन्नर अधिनियम’ के तहत अगर उन पर लड़कों के अपहरण और उन्हें नपुंसक बनाने या अप्राकृतिक अपराध करने या उन्हें बढ़ावा देने का संदेह हो, तो हैदराबाद शहर में रहने वाले किन्नरों का एक रजिस्टर रखना अनिवार्य था।

इस अधिनियम में यदि ट्रांसजेंडर व्यक्ति सड़क या सार्वजनिक स्थान पर महिलाओं के कपड़े पहने हुए या आभूषण पहने हुए, गाते हुए, नृत्य करते हुए या सार्वजनिक मनोरंजन में भाग लेते हुए पाए जाते हैं।, तो उनको बिना वारंट के गिरफ्तार करने की अनुमति दी गई है। इसके लिए दो साल तक की जेल की सजा भी निर्धारित की गई थी।

सोलह वर्ष से कम उम्र के लड़के के साथ पाए जाने वाले ट्रांसजेंडर व्यक्ति को भी बिना वारंट के गिरफ्तार किया जा सकता है और दो साल तक की जेल हो सकती है।

अदालत ने स्टेट वेल्फेयर बोर्ड को आदेश दिया है कि वो ‘तेलंगाना राज्य विधि सेवा प्राधिकरण’ (Telangana State Legal Services Authority) के सदस्य सचिव को अपने सदस्यों में शामिल करें। साथ ही, वेलफेयर बोर्ड से कहा गया है कि वो ध्यान दें कि सरकार किन्नर समाज के उत्थान हेतु क्या कदम उठा रही है।

‘ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 (Transgender Persons (Protection of Rights) Act, 2019) और ‘ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) नियम, 2020’ (Transgender Persons (Protection of Rights) Rules, 2020) को ठीक तरह से लागू किया जा रहा है या नहीं, इसपर भी वेल्फेयर बोर्ड को ध्यान देना है।

ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के अधिकारों को लेकर दायर याचिकाएं-

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जानकरी हो कि तेलंगाना उच्च न्यायालय में इस अधिनियम को रद्द करने हेतु याचिका दायर की गई थी और इसकी सुनवाई अदालत ने दो अन्य याचिकाओं के साथ की। इनमें पहली याचिका ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को शैक्षिक दाखिलों और सार्वजनिक रोजगार में आरक्षण देने को लेकर थी और दूसरी याचिका यह थी कि ट्रांसजेंडर्स को ‘आसरा स्कीम’ के तहत तीन महीने की सामाजिक सुरक्षा पेंशन मिलनी चाहिए।

अदालत ने याचिकाकर्ता के हक में फैसला सुनाया और ‘तेलंगाना किन्नर अधिनियम’ को खारिज कर दिया।

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