नोटरी नियुक्ति में आरक्षण नियमों की अनदेखी का आरोप, कोर्ट ने मुद्दा विचारणीय माना और राज्य सरकार से मांगा जवाब

नोटरी नियुक्ति में आरक्षण नियमों की अनदेखी का आरोप, कोर्ट ने मुद्दा विचारणीय माना और राज्य सरकार से मांगा जवाब

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गत 29 मई को जारी अधिसूचना के तहत नोटरी नियुक्ति में आरक्षण नियमों की अनदेखी का आरोप लगाते हुुए दाखिल याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है।

न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी एवं न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश रामचंद्र सिंह की याचिका पर अधिवक्ता योगेंद्र कुमार यादव को सुनकर दिया है। एडवोकेट योगेंद्र यादव का कहना है कि सात मार्च 2007 विशेष सचिव अपर विधि परामर्शी ने सोनभद्र में आरक्षण नियम के अनुसार नोटरी की नियुक्ति का आदेश दिया था।

26 अक्तूबर 2021 को भी नोटरी नियुक्ति के लिए मांगे गए विज्ञापन में रिजर्वेशन पॉलिसी के अनुसार जिला स्तर पर नियुक्ति की गई थी। लेकिन 29 मई 2023 से प्रदेश स्तर पर नोटरी नियुक्ति में आरक्षण नियमों को लागू नहीं किया गया है, जो संविधान का उल्लघंन है। इस तर्क के समर्थन में कोर्ट की कुछ नजीरें पेश की गईं।

राज्य सरकार के अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता अंबरीष शुक्ल ने कहा कि नोटरी की नियुक्ति नौकरी देना नहीं है। नोटरी नियमावली 1956 के नियम 8 व नोटरी कानून 1952की धारा 2डी के तहत नोटरी को आबद्ध किया जाता है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया।

अस्तु कोर्ट ने मुद्दा विचारणीय माना और राज्य सरकार से याचिका पर जवाब मांगा है। ऑफलाइन मोड Offline Mode से मांगे गए आवेदन में रिजर्वेशन के अनुसार आवेदन आमंत्रित किया गया था।

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