हाई कोर्ट ने एक अधिवक्ता द्वारा दो वकालतनामा पर अलग अलग दस्तखत किये जाने को भ्रमित करने वाला गम्भीर मामला माना, दिया कार्यवाही का आदेश-

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मध्य प्रदेश हाई कोर्ट Madhya Pradesh High Court जबलपुर खंडपीठ ने एक मामले में राज्य सरकार की ओर से अन्य पिछड़ा वर्ग, ओबीसी मामले में विशेष शासकीय अधिवक्ता नियुक्त किए गए अधिवक्ता विनायक प्रसाद शाह के दो वकालतनामों में अलग-अलग हस्ताक्षर पाए जाने पर नाराजगी जताई।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने सख्ती बरतते हुए कहा कि यह अपने आप में भ्रमित करने, झूठ और व्यसायिक कदाचरण का गम्भीर मामला है। कोर्ट ने महाधिवक्ता और हाईकोर्ट बार एसोसिएशन, जबलपुर को यह बताने को कहा कि इस मामले में क्या कार्रवाई की जा सकती है। कोर्ट ने दोनों को आदेश की प्रति भेजने के निर्देश दिए।

मध्य प्रदेश स्टेट बार काउंसिल Madhya Pradesh State Bar Council की सचिव गीता शुक्ला की ओर से दायर याचिका पर कोर्ट सुनवाई कर रही थी। सुनवाई के दौरान कार्यालय की ओर से कोर्ट को अवगत कराया गया कि एक मामले में कोर्ट ने 10 मई 2022 को अधिवक्ता विनायक प्रसाद शाह को चीफ जस्टिस की बेंच के समक्ष उपस्थित होने पर प्रतिबंध लगा दिया था।मामला 12 मई को दायर किया गया।

जानकारी हो कि इस वजह से इसमें पहले जो वकालतनामा अधिवक्ता विनायक प्रसाद शाह की ओर से 10 मई को लगाया गया था, बाद में उससे नाम, मोबाइल नम्बर व उनके दस्तखत स्क्रैच कर मिटाने का प्रयास किया गया। बाद में 26 मई को विनायक प्रसाद शाह की ओर से अन्य वकीलों की अनापत्ति के साथ एक और वकालतनामा प्रस्तुत किया गया।

कोर्ट ने पाया कि उक्त दोनों वकालतनामों में विनायक प्रसाद शाह के दस्तखत अलग अलग तरह से हैं। इसे कोर्ट ने सम्बंधित वकीलों को भी दिखाया।

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अदालत ने इस तरह की हरकत को गलत मानते हुए हाई कोर्ट बार एसोसिएशन, जबलपुर के अध्यक्ष संजय वर्मा व महाधिवक्ता मध्य प्रदेश Advocate General Madhya Pradesh प्रशांत सिंह से इस मामले पर कार्रवाई किए जाने के सिलसिले में अपने-अपने अभिमत प्रस्तुत करने आग्रह किया है।

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