हाई कोर्ट का सरकार से सवाल, नोटिस किया जारी, सरकारी मदद से संचालित मदरसों में धार्मिक शिक्षा कैसे दी जा रही है?

हाई कोर्ट का सरकार से सवाल, नोटिस किया जारी, सरकारी मदद से संचालित मदरसों में धार्मिक शिक्षा कैसे दी जा रही है?

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने केंद्र सरकार और यूपी सरकार को नोटिस जारी कर दिया है। नोटिस में कोर्ट ने सरकारों से मदरसों में दी जा रही धार्मिक शिक्षा के विषय में जानकारी मांगी है। कोर्ट ने सरकारों से इस मामले में जवाब देने के लिए 6 हफ्ते का समय दिया है। यह नोटिस जारी करने का मुख्य कारण है कि कुछ मदरसों में धार्मिक शिक्षा को संचालित करने के लिए अनुचित तरीके से सरकारी मदद दी जाती है।

सरकारी मदद से संचालित मदरसों में धार्मिक शिक्षा दिए जाने को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट लखनऊ पीठ ने सख्त रुख अपना लिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सवाल किया है कि सरकारी मदद से संचालित मदरसों में धार्मिक शिक्षा कैसे दी जा रही है?

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार में छह हफ्ते में इसका जवाब देने के लिए कहा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जौनपुर के मदरसा शिक्षक एजाज अहमद की ओर से दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए यूपी सरकार और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया। याचिकाकर्ता एजाज अहमद जौनपुर के सुदनीपुर इलाके में संचालित होने वाले मदरसा समदानियां इस्लामिया में शिक्षक हैं।

वेतन से जुड़े विवाद को लेकर एजाज अहमद ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। एजाज अहमद की ओर से दायर याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की बेंच में सुनवाई हुई। एजाज अहमद की याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने यूपी के मदरसों में धर्म विशेष की शिक्षा दिए जाने को लेकर केंद्र और यूपी सरकार को नोटिस जारी किया है।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने केंद्र और यूपी सरकार को नोटिस जारी कर ये पूछा है कि सरकारी मदद से चलने वाले मदरसों में धार्मिक शिक्षा कैसे प्रदान की जा सकती है? अगर सरकारी मदद लेने वाले मदरसों में धार्मिक शिक्षा दी जा रही है तो क्या यह संविधान के अनुच्छेद 14, 25, 26, 29 और 30 का उल्लंघन नहीं है?

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने केंद्र और यूपी सरकार को इन सवालों के जवाब दाखिल करने के लिए छह हफ्ते का वक्त दिया है। कोर्ट ने केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक मामलों से संबंधित विभाग के सचिव और यूपी सरकार के माइनॉरिटी वेलफेयर एंड वर्क्स डिपार्टमेंट के प्रिंसिपल सेक्रेट्री से हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है।

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