उच्च न्यायालय ने हिन्दू मैरिज एक्ट के अंतर्गत विदेशी विवाह कानून के तहत समलैंगिक विवाह के मामले में केंद्र सरकार को नोटिस जारी-

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Delhi High Court : दिल्ली उच्च न्यायालय ने हिन्दू मैरिज एक्ट के अंतर्गत विदेशी विवाह कानून के तहत समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग के मामले में केंद्र सरकार को नोटिस जारी करके जवाब मांगा।

सत्रों के अनुसार दिल्ली हाईकोर्ट में इस संबंध में कुल दो याचिकाएं दाखिल की गई हैं। जिनमें हिंदू विवाह अधिनियम HMA और विशेष विवाह अधिनियम SMA के तहत समलैंगिकों की शादी को मान्यता देने की घोषणा करने का अनुरोध किया गया है।

इसी मामले में अक्टूबर 2021 में Delhi High Court दिल्ली हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कोर्ट से स्पष्ट कहा था कि कानून चाहे कुछ भी कहता हो, भारत में अभी केवल जैविक पुरुष और जैविक महिला के बीच विवाह की अनुमति है।

जॉयदीप सेनगुप्ता और उनके समलैंगिक साथी स्टीफेंस ने दायर की है याचिका 

Chief Justice चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की बेंच ने दोनों याचिका पह सुनावाई के लिए आज यानी 30 नवंबर की तारीख दी थी। यह याचिका अभिजीत अय्यर मित्रा, वैभव जैन, डॉ. कविता अरोड़ा, ओसीआई कार्ड धारक जॉयदीप सेनगुप्ता और उनके साथी रसेल ब्लेन स्टीफेंस ने दायर की थी।

मामले की सुनवाई में याचिकाकर्ता जॉयदीप सेनगुप्ता और स्टीफेंस की ओर से पेश हुए वकील करुणा नंदी ने कोर्ट को बताया कि इन्होंने न्यूयॉर्क में शादी की है और उनके मामले में नागरिकता अधिनियम 1955, विदेशी विवाह अधिनियम 1969 और विशेष विवाह अधिनियम 1954 कानून लागू होता है। 

करुणा नंदी ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पैरवी की 

इसके साथ ही करुणा नंदी ने नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 7ए (1) (डी) का हवाला देते हुए बताया कि यह विषमलैंगिक, समान-लिंग या समलैंगिक पति-पत्नी के बीच कोई भेदभाव नहीं करता है।

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वहीं इस मामले में अदालत में केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए Solicitor General सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने स्पष्ट कहा कि ‘स्पाउस’ का आशय केवल और केवल पति और पत्नी है। भारत में ‘विवाह’ विषमलैंगिक जोड़ों से जुड़ा एक शब्द है और इस प्रकार नागरिकता कानून के संबंध में कोई विशिष्ट जवाब दाखिल करने की कोई जरूरत नहीं है।

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