हाईकोर्ट ने पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश देते हुए कहा कि आरोपियों को लाभ देने के लिए उचित धाराओं के तहत नहीं किया गया केस दर्ज-

उच्च न्यायालय ने शेयर मार्केट में पैसा लगाने से जुड़े करीब रुपये एक करोड़ [रु १०००००००/- ] के गबन के मामले में तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि पुलिस अधिकारियों ने आरोपित को लाभ पहुंचाने की नीयत से आरबीआइ एक्ट व अन्य की धाराओं के तहत अपराध पंजीबद्ध नहीं किया।

मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने शहडोल एसपी को आदेशित किया है कि वह इंस्पेक्टर कमलेन्द्र सिंह कर्चुली, रावेन्द्र द्विवेदी, राजेश चंद्र मिश्रा, सब इंस्पेक्टर उमाशंकर यादव, एमपी अहिरवार एवं असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर एमपी सिंह के खिलाफ कार्रवाई करके हाई कोर्ट को सूचित करें। मामला शेयर बाजार के नाम पर 10000000 रुपए की ठगी के आरोपी की मदद करने का है।

मामले के आरोपी संजय सिंह ने दूसरी जमानत अर्जी दायर कर बताया कि वह 22 फरवरी 2021 से जेल में बंद है। वह रजिस्टर्ड शेयर ब्रोकर है और उसके पास डीमेट एकाउंट है, ट्रायल में समय लगेगा इसलिए उसे जमानत दी जाए। आपत्तिकर्ता की ओर से अधिवक्ता योगेश सोनी ने बताया कि प्रकरण 2015 में दर्ज हुआ था। आरोपी सात साल फरार रहा। एक करोड़ रुपये के गबन का मामला है, अगर जमानत दी गई तो वह फिर से फरार हो जाएगा।

न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की एकलपीठ ने कहा कि दस्तावेजों से स्पष्ट है कि बिना किसी लाइसेंस और गवर्नमेंट विभाग अनुमति के शेयर मार्केट में लोगों से बड़ा निवेश करवाया गया। हाई कोर्ट ने शहडोल के पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिए कि कोतवाली थाने में पदस्थ तत्कालीन दोषी अधिकारियों ASI एमपी सिंह, SI उमाशंकर यादव, TI कमलेन्द्र सिंह कर्चुली, TI रावेन्द्र द्विवेदी, SI एमपी अहिरवार व TI राजेश चंद्र मिश्रा के खिलाफ कार्रवाई करें। कोर्ट ने एसपी को कहा कि 45 दिन के भीतर उक्त अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की रिपोर्ट भी पेश करें।

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कोर्ट ने किया सवाल-

कोर्ट ने रिकॉर्ड पर मौजूद दस्तावेजों का अवलोकन करते हुए आदेश दिनांक 14.02.2022 के तहत राज्य से एक प्रश्न किया है। कोर्ट ने पूछा कि राज्य के वकील को भी एसएचओ पीएस कोतवाली, जिला शहडोल को यह बताने के लिए कॉल करने का निर्देश दिया जाता है कि ऐसे मामलों में केवल आईपीसी की धारा 409, 420 और 34 के तहत दर्ज अपराध ही क्यों दर्ज किए गए हैं, इसके लिए विशेष एक्ट और आपराधिक प्रक्रिया बनाई गई है। अदालत ने संबंधित जांच अधिकारी से, जो व्यक्तिगत रूप से मौजूद था, से पूछा कि क्या वित्तीय अनियमितताओं के संबंध में क़ानून के तहत कोई अपराध आवेदक के खिलाफ किया गया है या नहीं।

कोर्ट ने मामले में बनाए आरोपित संजय सिंह बघेल को दूसरी बार जमानत देने से इनकार कर दिया।

केस टाइटल – संजय सिंह बघेल बनाम मध्य प्रदेश राज्य

केस नंबर – MISC. CRIMINAL CASE No. 3153 of 2022
कोरम – न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा

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