जज ने कहा की बुर्का हटाइये, महिला वकील का इंकार, हाई कोर्ट ने बिना पहचान किया सुनवाई से इंकार

जज ने कहा की बुर्का हटाइये, महिला वकील का इंकार, हाई कोर्ट ने बिना पहचान किया सुनवाई से इंकार

देश में बुर्का पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. कॉलेजों में बुर्का विवाद अभी तक शांत भी नहीं हुआ था कि एक बार फिर यह मुद्दा सुर्खियों में आ गया है. इस बार यह विवाद अदालत तक पहुंच गया है, जब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट Jammu and Kashmir & Ladakh High Court की श्रीनगर बेंच Srinagar Bench में एक महिला वकील बुर्का पहनकर एक केस की पैरवी करने पहुंची. कोर्ट ने इस पर आपत्ति जताई और महिला वकील से अपना चेहरा दिखाने को कहा. अदालत ने इस संदर्भ में महिला वकील Female lawyer से यह भी कहा कि वह अपने चेहरे से बुर्का हटा ले, ताकि उसकी पहचान स्पष्ट हो सके. हालांकि महिला वकील ने इससे इनकार कर दिया और कहा कि यह उसकी व्यक्तिगत पसंद है और वह इस तरह की पोशाक पहनकर कोर्ट में आना अपना मौलिक अधिकार Fundamental Rights मानती हैं.

महिला वकील ने इस मुद्दे को धार्मिक स्वतंत्रता और व्यक्तिगत अधिकारों से जोड़ते हुए तर्क दिया कि जैसे अन्य लोग अपनी पसंदीदा पोशाक पहनकर अदालत आते हैं, वैसे ही वह भी अपनी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बुर्का पहनकर आ सकती हैं. इस पर अदालत ने महिला वकील से यह पूछा कि क्या अदालत की प्रक्रिया और न्यायिक कार्यवाही में उसकी पहचान स्पष्ट करना जरूरी नहीं है.

कोर्ट ने महिला वकील से कहा अनुशासन बनाये रखे

वहीं इस मामले को लेकर हाईकोर्ट ने महिला वकीलों से कोर्ट रूम में डिसिप्लिन (Discipline) और पेशेवर पहचान बनाए रखने को कहा. महिला वकील के इस रुख पर हाईकोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल (Registrar General) से वकीलों के लिए ड्रेस कोड से जुड़े कानून और नियमों पर स्पष्टता मांगी. जिसमें पाया गया कि वकीलों के लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया (Bar Council of India BCI) के नियम इस तरह के परिधान की अनुमति नहीं देते हैं.

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जानें क्या है पूरा मामला

नाजिया इकबाल के साथ उनके पति मोहम्मद यासीन खान की तलाशी का मामला हाईकोर्ट की श्रीनगर बेंच में चल रहा है. मामला 27 नवंबर 2024 का है. इस तारीख को जस्टिस मोक्ष खजूरिया और जस्टिस राहुल भारती की डिवीजन बेंच (Division Bench) में सुनवाई होनी थी. जब मामले की सुनवाई शुरू हुई तो नाजिया की ओर से एक महिला वकील (Female lawyer) पेश हुई. उसने बुर्का पहना हुआ था. इस पर डिवीजन बेंच ने महिला वकील की पहचान के लिए उसे बुर्का (Burqa) हटाने को कहा.

इस पर महिला वकील ने ऐसा करने से इनकार कर दिया. साथ ही कहा कि भारतीय संविधान (Indian Constitution) के तहत उसे इस तरह की पोशाक पहनने का अधिकार है. इस पर बेंच ने रजिस्ट्रार ज्यूडिशियल से वकीलों की पोशाक को लेकर बीसीआई (BCI) द्वारा बनाए गए नियमों पर रिपोर्ट (Report) मांगी.

नियमों के खिलाफ हैं चेहरा ढककर कोर्ट आना

रजिस्ट्रार न्यायिक ने 5 दिसंबर 2024 को नियम और कानून को लेकर एक रिपोर्ट पेश की. इसमें महिला वकीलों के ड्रेस कोड (Dress Code) के बारे में विस्तार से बताया गया. रिपोर्ट (Report) में साफ है कि बीसीआई (BCI) द्वारा निर्धारित ड्रेस कोड में कहीं भी महिला वकीलों के चेहरा ढककर कोर्ट (Court) आने का जिक्र नहीं है. इस रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद हाईकोर्ट (High Court) ने स्पष्ट किया कि महिला वकीलों का चेहरा ढककर कोर्ट आना बीसीआई (BCI) के नियमों के खिलाफ है. वकीलों के लिए बीसीआई के नियम इस तरह के परिधान की इजाजत नहीं देते. इसलिए महिला वकीलों को कोर्ट रूम (Courtroom) में शिष्टाचार और पेशेवर पहचान बनाए रखनी चाहिए.

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महिला वकीलों के लिए निर्धारित ड्रेस कोड क्या है? जानिए

  • बाहरी कपड़ों के लिए महिलाओं को सफ़ेद कॉलर वाली पूरी आस्तीन वाली काली जैकेट या ब्लाउज़ पहनना ज़रूरी है. सफ़ेद बैंड और एडवोकेट गाउन पहनना भी अनिवार्य है. वैकल्पिक रूप से, कॉलर के साथ या बिना कॉलर वाला सफ़ेद ब्लाउज़ और सफ़ेद बैंड वाला काला खुला कोट भी पहनने की अनुमति है.
  • निचले परिधानों के लिए महिलाएं सफ़ेद, काले या किसी भी हल्के रंग की साड़ी या लंबी स्कर्ट चुन सकती हैं, बशर्ते कि वे प्रिंट या डिज़ाइन के बिना हों. अन्य विकल्पों में सफ़ेद, काले धारीदार या भूरे रंग के फ्लेयर्ड ट्राउज़र, चूड़ीदार-कुर्ता, सलवार-कुर्ता या पंजाबी ड्रेस शामिल हैं. इसे सफ़ेद या काले दुपट्टे के साथ या उसके बिना पहना जा सकता है.
  • पारंपरिक पोशाक को काले कोट और बैंड के साथ पहनने पर भी स्वीकार्य है. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट में पेश होने के अलावा वकील का गाउन पहनना वैकल्पिक है. साथ ही, गर्मी के महीनों में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में पेश होने के अलावा काला कोट पहनना अनिवार्य नहीं है.
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