⚖️ “स्थगनादेश का उद्देश्य मालिकाना अधिकार का अवरोध नहीं” — सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट का आदेश रद्द किया
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसले में बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा पारित उस आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें संपत्ति के मालिक को विवादित परिसर में किसी तीसरे पक्ष का हित निर्मित करने से रोक दिया गया था।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने स्पष्ट किया कि ऐसा स्थगनादेश स्वामित्वाधिकार के विधिक और वाणिज्यिक प्रयोग को गंभीर रूप से सीमित करता है, जबकि संपत्ति का पूरा अधिकार निर्विवाद रूप से अपीलकर्ता के पास है।
🏛️ मामले की पृष्ठभूमि:
अपीलकर्ता के पिता मुंबई के चेंबूर स्थित विट्ठलवाड़ी, घाटला गांव में 22,000 वर्गफुट के भूखंड के मालिक थे। वर्ष 1972 में, इसमें से 11,250 वर्गफुट भूमि एक साझेदारी फर्म एम/एस सिल्वर केम (इंडिया) (उत्तरदायी संख्या 2) को पट्टे पर दी गई थी। बाद में अपीलकर्ता के पिता की मृत्यु के पश्चात पूरी संपत्ति अपीलकर्ता को हस्तांतरित हो गई।
अपीलकर्ता ने पट्टा समाप्त कर एक बेदखली वाद दाखिल किया। तत्पश्चात, जब फर्म ने अपने पट्टे के अधिकार त्याग दिए, तो अपीलकर्ता ने वह वाद वापस ले लिया और एम/एस केएमजी ग्लोबल के साथ 2,200 वर्गफुट के निर्मित क्षेत्र पर लीव एंड लाइसेंस समझौता कर लिया।
उत्तरदायी संख्या 1, जो फर्म के एक पूर्व साझेदार का उत्तराधिकारी होने का दावा करता है, ने 550 वर्गफुट क्षेत्र पर अपने पट्टाधिकार की घोषणा के लिए स्मॉल कॉजेस कोर्ट में वाद दायर किया, और अंतरिम संरक्षण प्राप्त किया। हालांकि, अपीलकर्ता की अपील स्वीकार कर ली गई थी। इसके विरुद्ध उत्तरदायी संख्या 1 ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसने उसके पक्ष में स्थगनादेश जारी किया — जिससे आहत होकर अपीलकर्ता सुप्रीम कोर्ट पहुँचा।
⚖️ न्यायालय का विश्लेषण:
पीठ ने अंतरिम स्थगनादेश की विधिक कसौटियों पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि:
“इस न्यायालय ने समय-समय पर यह सिद्ध किया है कि अंतरिम स्थगनादेश प्रदान करने के लिए तीन आवश्यक शर्तें पूरी होनी चाहिए:
- प्रथम दृष्टया मामला जो ट्रायल में सफलता की संभाव्यता दिखाता हो,
- संतुलन की सुविधा (Balance of Convenience) याचिकाकर्ता के पक्ष में हो, और
- यदि स्थगनादेश नहीं दिया गया तो याचिकाकर्ता को ऐसा अपूरणीय नुकसान होगा जिसकी क्षतिपूर्ति धन से नहीं की जा सकती।”
पीठ ने कहा कि इन शर्तों की अनुपस्थिति में हाईकोर्ट द्वारा स्थगनादेश देना विधिक दृष्टि से त्रुटिपूर्ण था। अपीलकर्ता संपत्ति का निर्विवाद मालिक है और विवादित क्षेत्र मात्र 550 वर्गफुट है, जो कुल 22,000 वर्गफुट का एक नगण्य अंश है। इसके अतिरिक्त, उत्तरदायी संख्या 1 का पट्टाधिकार दावा अभी स्मॉल कॉजेस कोर्ट में लंबित है और वह प्रथम दृष्टया मामला सिद्ध नहीं कर सका।
💼 व्यावसायिक प्रभाव और न्यायसंगतता:
न्यायालय ने यह भी माना कि:
“विवादित क्षेत्र छोटा होने के बावजूद, स्थगनादेश ने पूरे पुनर्विकास परियोजना को बाधित कर दिया है। इससे अपीलकर्ता को न केवल वित्तीय नुकसान हो रहा है, बल्कि वह अपने अनुबंधीय दायित्वों को भी पूरा नहीं कर पा रहा है।”
वहीं, उत्तरदायी संख्या 1 को कोई अपूरणीय क्षति नहीं होगी, क्योंकि उसके संभावित अधिकारों की रक्षा 550 वर्गफुट क्षेत्र को सुरक्षित रखने से की जा सकती है।
🧾 निष्कर्ष और आदेश:
सुप्रीम कोर्ट ने अपील स्वीकार करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट का आदेश रद्द कर दिया। हालांकि, न्यायिक संतुलन बनाए रखने हेतु कहा:
“यदि स्मॉल कॉजेस कोर्ट में चल रहे वाद में उत्तरदायी संख्या 1 सफल होता है, तो उसकी संभावित अधिकारों की सुरक्षा के लिए, अपीलकर्ता को पुनर्विकसित परिसर में 550 वर्गफुट का एक यूनिट सुरक्षित रखना होगा।”
📚 प्रकरण शीर्षक: तुषार हिमतलाल जानी बनाम जसबीर सिंह विजन एवं अन्य
📄 न्यायिक उद्धरण: 2025 INSC 663
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