जिला जज पर हमले की रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश: कोर्ट ने पूछा- चैंबर में पिस्टल कैसे ले गई पुलिस?

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मधुबनी के झंझारपुर व्यवहार न्यायालय के अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश ADJ-1 अविनाश कुमार पर हमले के मामले में पटना हाईकोर्ट में सुनवाई हुई है। कोर्ट में आज DGP की रिपोर्ट बंद लिफाफे में पेश की गई।

मधुबनी के एक अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश पर पुलिसकर्मी द्वारा हमला के मामले में बिहार के पुलिस महानिदेशक पटना हाईकोर्ट के समक्ष पेश हुए। उनके हस्ताक्षर वाली रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में हाईकोर्ट को सौंपी गई।

न्यायमूर्ति राजन गुप्ता ने रिपोर्ट खोलकर पढ़ी और घटना के बारे में विवरण देखा और आदेश दिया कि रिपोर्ट रजिस्ट्रार न्यायिक की सुरक्षित हिरासत में रखी जाए।

जस्टिस राजन गुप्ता और जस्टिस मोहित कुमार शाह की खंडपीठ ने इस रिपोर्ट को देखा। रिपोर्ट पर सुनवाई के दौरान जजों ने मौखिक तौर पर कहा कि आखिर पुलिस अधिकारियों ने लोडेड हथियार के साथ एक जज के चैंबर में कैसे प्रवेश किया?

खण्डपीठ ने कोर्ट को इस मामले में सहयोग करने हेतु एमिकस क्यूरी कोर्ट मित्र नियुक्त करने का निर्णय लिया है। सुनवाई के दौरान बिहार सरकार के महाधिवक्ता ललित किशोर ने कोर्ट को बताया कि पुलिस दोनों पक्षों के मामलों को निष्पक्ष और पारदर्शी ढंग से अनुसंधान करने में सक्षम है। दोनों पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है।

महाधिवक्ता ने मामले की मोनिटरिंग करने के लिए कोर्ट का आभार व्यक्त किया। उन्होंने यह भी कहा कि कोर्ट यदि चाहे तो CBI समेत किसी भी एजेंसी से मामले की जांच करवा सकता है। मामले पर अगली सुनवाई बुधवार को की जाएगी। इस दिन DGP को भी उपस्थित रहने को कहा गया है। मधुबनी एसपी सत्यप्रकाश और आरोपी पुलिसकर्मी SHO गोपाल प्रसाद यादव और SI अभिमन्यु कुमार।

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घटना के बाद आमने-सामने आ गई है न्यायपालिका और पुलिस

बीते 18 नवंबर को अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश अविनाश कुमार पर उनके चैंबर में घुसकर ​​​​घोघरडीहा थाने के दो पुलिस पदाधिकारियों SHO गोपाल प्रसाद यादव और SI अभिमन्यु शर्मा ने हमला कर दिया था। जज ने अपनी FIR में कहा था कि SHO और SI ने उनके साथ पहले अभद्र व्यवहार किया। इसके बाद उनके साथ मारपीट की। इसी दौरान थानाध्यक्ष ने अपनी रिवॉल्वर निकालकर उन पर तानते हुए जान से मारने की धमकी भी दे डाली।

अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश अविनाश कुमार ने इसी दिन पटना हाईकोर्ट को लेटर भेज पूरी घटना की जानकारी दी थी। इसके बाद शाम 7:30 बजे कोर्ट ने मामले की सुनवाई की और बिहार के चीफ सेक्रेटरी, DGP, गृह विभाग के प्रधान सचिव और मधुबनी SP को नोटिस जारी किया। साथ ही DGP को सील्ड कवर में 29 नवंबर तक स्टेटस रिपोर्ट फाइल करने को कहा था।

इस मामले में न्यायपालिका और पुलिस प्रशासन आमने-सामने आ चुकी है। बिहार पुलिस एसोसिएशन ने कहा कि थानेदार और दारोगा के साथ भी मारपीट हुई है। दोनों जख्मी हालत में दरभंगा के DMCH में भर्ती हैं। उन्होंने भी पुलिस के सामने अपना बयान दिया है। इस पर भी FIR होनी चाहिए। घटना के बाद से कई बार मधुबनी जिले के इंस्पेक्टरों-दारोगा की बैठक हो चुकी है। सभी ने दोनों आरोपित पुलिस अधिकारियों के साथ एकजुटता दिखाई है। साथ ही मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है।

अदालत ने अपने आदेश में कहा-

“प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि यह प्रकरण न्यायपालिका की स्वतंत्रता को खतरे में डालता है। इस प्रकार हम प्रतिवादी संख्या 2 से 5 अर्थात मुख्य सचिव, बिहार सरकार, पटना, पुलिस निदेशक, बिहार, प्रमुख सचिव, गृह विभाग, बिहार सरकार, पटना और पुलिस अधीक्षक, मधुबनी को नोटिस जारी करना उचित समझते हैं।”

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केस टाइटल – स्वत: संज्ञान जिला एवं सत्र न्यायाधीश, मधुबनी बनाम बिहार राज्य एवं अन्य
वाद नंबर: सीडब्ल्यूजेसी-19402/2021

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