सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि देश के सभी खेल संघ बीमार संस्थाएं, पता नहीं वो किसके लिए…

सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि देश के सभी खेल संघ बीमार संस्थाएं, पता नहीं वो किसके लिए...

सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि देश के सभी खेल संघ बीमार संस्थाएं, पता नहीं वो किसके लिए…

🏅 सुप्रीम कोर्ट ने खेल संघों की कार्यप्रणाली पर जताई कड़ी नाराजगी


महाराष्ट्र कुश्ती संघ की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने देश के खेल संघों के संचालन और प्रशासन पर गंभीर चिंता व्यक्त की है।


⚖️ मुख्य बिंदु:

  1. कड़ी टिप्पणी:
    • “इन सभी खेल संघों में खेल जैसा कुछ नहीं है। सभी बीमार संस्थाएं हैं। हमें नहीं पता कि वे किसके लिए संघर्ष कर रहे हैं।”
    • न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिस्वर सिंह की पीठ ने यह टिप्पणी की।
  2. खेल संघों में राजनीतिक और नौकरशाही प्रभुत्व:
    • अदालत ने खेल संघों में राजनेताओं, रिटायर्ड नौकरशाहों और न्यायाधीशों के प्रभुत्व की आलोचना की।
    • खेल संघों के प्रशासन में वास्तविक खेल पृष्ठभूमि वाले लोगों को शामिल करने की वकालत की।
  3. चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता:
    • खेल संघों के चुनावों में निष्पक्षता, स्वायत्तता और स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए कड़े उपायों की जरूरत बताई।
  4. पिछले मामलों का संदर्भ:

📈 आंकड़े:

  • पिछले दशक में भारतीय अदालतों में 770 खेल-संबंधी मामले दर्ज हुए।
  • इनमें से 200 से अधिक मामले शासन से जुड़े विवादों पर आधारित थे।

सुप्रीम कोर्ट का सुझाव:

  • खेल संघों में खेल पृष्ठभूमि वाले लोगों की भागीदारी बढ़ाना।
  • निष्पक्ष चुनाव और पारदर्शी प्रशासन सुनिश्चित करना।
  • स्वायत्तता और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए कड़े नियम लागू करना।
ALSO READ -  राजनीतिक दलों के वोटरों को मुफ्त उपहार के वायदे से शीर्ष न्यायलय चिंतित, बताया देश के लिए गंभीर आर्थिक मुद्दा-

🔖 निष्कर्ष:

सुप्रीम कोर्ट का यह हस्तक्षेप खेल संघों में पारदर्शिता, जवाबदेही और निष्पक्षता लाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भारतीय खेल प्रशासन को स्वच्छ और प्रभावी बनाने में सहायक हो सकता है।

Translate »