उच्च न्यायलय में न्यायाधीशों की रिक्तियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण स्पष्टीकरण जारी किया है। शीर्ष कोर्ट ने कहा है कि एक अदालत से दूसरी अदालत में जाने वाला जज बार या सर्विस जज के ठप्पे के साथ नहीं जाता है। ऐसे में उसे सिर्फ तबादले जज के तौर पर देखा जाना चाहिए।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति अभय एस ओका की पीठ ने कहा, यह हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पर निर्भर करता है कि वह रिक्तियों का वर्गीकरण किस प्रकार करता है। कोर्ट ने कहा, स्थानांतरण की प्रणाली कैसे संचालित होगी, इस पहलू को स्पष्ट कर दिया गया है। हालांकि, इस बारे में कुछ संदेह व्यक्त किए गए हैं।
कोर्ट ने कहा, जब स्थानांतरण के लिए सिफारिशें लागू नहीं की जाती हैं, तो आगे की सिफारिशें यह स्थानांतरण में भी देरी हो जाती है।
इस दौरान अदालत ने इस तथ्य की सराहना की कि प्रत्येक हाईकोर्ट में न्यायाधीशों की संख्या स्वीकृत है। इसमें 2/3 न्यायाधीश बार से और 1/3 जज जिला न्यायिक सेवा से हैं। ऐसे में जब एक न्यायाधीश को एक उच्च न्यायलय से दूसरे उच्च न्यायलय में तबादला किया जाता है, तो वह बार जज या सर्विस जज के लेबल के साथ नहीं जाता। ऐसे में वह स्थानांतरण सिर्फ न्यायाधीश के रूप में हाईकोर्ट जाता है।