वीर सावरकर पर टिप्पणी को लेकर सुप्रीम कोर्ट की राहुल गांधी को कड़ी फटकार, समन पर रोक लेकिन चेतावनी स्पष्ट
🔹 सुप्रीम कोर्ट ने वीर सावरकर पर टिप्पणी को लेकर राहुल गांधी को फटकार लगाई
अदालत ने कहा: “क्या आपको नहीं पता कि आपकी दादी ने प्रधानमंत्री रहते सावरकर की प्रशंसा में पत्र लिखा था?”
🔹 समन पर रोक, लेकिन चेतावनी साफ
लखनऊ की अदालत द्वारा जारी समन पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई,
पर साथ ही स्पष्ट किया कि “भविष्य में ऐसी टिप्पणियों पर स्वतः संज्ञान लेकर कार्रवाई की जाएगी।”
🔹 अभिव्यक्ति की आज़ादी के साथ उत्तरदायित्व भी ज़रूरी
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि लोकतांत्रिक विमर्श में गरिमा और ऐतिहासिक संवेदनशीलता आवश्यक है।
नयी दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर पर की गई टिप्पणी को लेकर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को कठोर फटकार लगाते हुए स्पष्ट शब्दों में कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति सम्मान की भावना होना अपेक्षित है, विशेषकर तब जब उनके योगदान को स्वयं उनके परिवार के वरिष्ठ सदस्य—पूर्व प्रधानमंत्री—ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया हो।
न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने राहुल गांधी के विरुद्ध लखनऊ की अदालत में लंबित आपराधिक कार्यवाही पर स्थगनादेश (stay) प्रदान किया, लेकिन साथ ही यह चेतावनी भी दी कि यदि भविष्य में इस प्रकार की टिप्पणियां दोहराई गईं, तो सर्वोच्च न्यायालय स्वतः संज्ञान लेकर उचित कार्रवाई करेगा।
पीठ की मौखिक टिप्पणियां और गंभीर असंतोष
सुनवाई के दौरान, वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने राहुल गांधी की ओर से पक्ष रखा। न्यायालय ने तीव्र असंतोष व्यक्त करते हुए राहुल गांधी की ऐतिहासिक समझ पर प्रश्नचिह्न उठाया। न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा:
“क्या आपके मुवक्किल को यह ज्ञात नहीं कि महात्मा गांधी ने स्वयं वायसराय को पत्र लिखते समय ‘आपका वफादार सेवक’ शब्द का प्रयोग किया था? क्या उन्हें यह भी ज्ञात नहीं कि उनकी दादी, श्रीमती इंदिरा गांधी, ने प्रधानमंत्री रहते हुए वीर सावरकर की प्रशंसा में पत्र लिखा था?”
पीठ ने आगे टिप्पणी की:
“इतिहास की जानकारी के अभाव में यदि इस प्रकार के वक्तव्य दिए जाते हैं, तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है। स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति सम्मानजनक भाषा का प्रयोग आवश्यक है।”
समन पर स्थगन लेकिन चेतावनी गंभीर
हालांकि, शीर्ष अदालत ने लखनऊ की निचली अदालत द्वारा जारी समन पर रोक लगाते हुए कार्यवाही स्थगित कर दी, लेकिन साथ ही यह स्पष्ट कर दिया कि यदि भविष्य में राहुल गांधी इस प्रकार की बयानबाजी दोहराते हैं, तो अदालत स्वतः संज्ञान (suo motu cognizance) लेकर कार्रवाई करेगी।
मामले की पृष्ठभूमि
यह प्रकरण वर्ष 2022 में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान महाराष्ट्र में राहुल गांधी द्वारा वीर सावरकर को लेकर दिए गए विवादास्पद बयान से संबंधित है, जिसमें उन्होंने कहा था कि “सावरकर अंग्रेजों के नौकर थे” और “वे उनसे पेंशन लेते थे”। इस बयान के विरुद्ध वकील नृपेंद्र पांडे ने लखनऊ की अदालत में आपराधिक शिकायत दर्ज की थी।
निचली अदालत ने प्रथमदृष्टया भारतीय दंड संहिता की धारा 153A और 505 के अंतर्गत मामला स्वीकार करते हुए राहुल गांधी को समन जारी किया था।
इस समन और कार्यवाही को रद्द करने के लिए राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इससे पहले इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने दिनांक 4 अप्रैल 2025 को उन्हें कोई राहत देने से इंकार कर दिया था।
न्यायिक संतुलन: राहत, लेकिन उत्तरदायित्व की याद दिलाई
सुप्रीम कोर्ट ने एक ओर जहां प्रक्रियात्मक राहत प्रदान की, वहीं यह स्पष्ट किया कि लोकतांत्रिक विमर्श की गरिमा बनाए रखना आवश्यक है, विशेषकर जब वह ऐतिहासिक चरित्रों और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों से जुड़ा हो।
“यदि भविष्य में इस प्रकार की भाषा दोहराई गई, तो यह केवल राजनैतिक विवाद नहीं रहेगा—बल्कि संवैधानिक और न्यायिक हस्तक्षेप को आमंत्रित करेगा।”
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