गोवा की स्वतंत्रता का आंदोलन : भारत में ब्रिटिश सरकार का सूरज अस्त होने के बावजूद देश का एक हिस्सा लंबे समय तक विदेशी कब्जे में रहा। देश के तटीय क्षेत्र गोवा को पुर्तगालियों के कब्जे से स्वतंत्र कराने में 14 साल लग गए।
अंग्रेजों की तरफ से 1946 में भारत की स्वतंत्रता के साफ संदेश के बाद यह स्पष्ट था कि पुर्तगाली भी गोवा छोड़कर चले जाएंगे लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
गोवा की स्वतंत्रता के लिए पहले से ही स्थानीय नागरिकों की तरफ से लगातार गंभीर प्रयास किये जा रहे थे। इसी दौरान दिग्गज समाजवादी नेता डॉ.राममनोहर लोहिया ने गोवा पहुंचकर पुर्तगालियों के विरुद्ध आंदोलन शुरू कर दिया।
डॉ. लोहिया जब गोवा पहुंचे उस समय वहां सरकार ने सभा आयोजित किये जाने सहित कई दूसरे नागरिक अधिकारों पर प्रतिबंध लगा रखा था।
डॉ. लोहिया ने स्थानीय सहयोगी जूलियाओ मिनेझिस के साथ इन प्रतिबंधों को तोड़ने के लिए सभा आयोजित कर नागरिक अधिकारों की बहाली की मांग की योजना बनायी।18 जून 1946 को निर्धारित समय पर डॉ. लोहिया जब मडगांव के सभास्थल पर पहुंचे तो व्यापक स्तर पर पुलिसकर्मियों की तैनाती की जा चुकी थी और डॉ. लोहिया पर एक पुलिस अफसर ने पिस्तौल तान दी।
इसकी परवाह नहीं करते हुए लोहिया ने अफसर को एकतरफ धकेलकर भाषण देना शुरू कर दिया। लिहाजा, उन्हें गिरफ्तार कर मडगांव जेल में डाल दिया।
इस घटनाक्रम ने गोवा की आजादी के आंदोलन को नयी धार दी।15 अगस्त 1947 को देश की स्वतंत्रता के बाद गोवा की मुक्ति के लिए देश के विभिन्न हिस्सों से समर्थन मिलना शुरू हुआ जिससे पुर्तगाली सरकार पर व्यापक दबाव बना। इसमें खासतौर पर 1955 में हजारों सत्याग्र्हियों ने गोवा में प्रवेश का प्रयास किया जिसके बाद पुर्तगाली सरकार ने उनपर फायरिंग कर दी।
इसमें 20 सत्याग्रहियों की मौत हो गयी। 18 दिसंबर 1961 को ऑपेशन विजय के तहत 36 घंटे की कार्रवाई के बाद गोवा को पुर्तगालियों से स्वतंत्रता मिली। 19 दिसंबर 1961 को गोवा पुर्तगालियों के उपनिवेश से मुक्त हुआ और वहां तिरंगा लहराया।
आज 16 जून के अन्य महत्वपूर्ण घटना चक्र–
1576ः अकबर और महाराणा प्रताप के बीच हल्दीघाटी का युद्ध शुरू हुआ।
1815ः वाटरलू के युद्ध में नेपोलियन बोनापार्ट को हार का सामना करना पड़ा।
1858ः झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने ग्वालियर के निकट लड़ाई के मैदान में ब्रिटिश सेना से लोहा लेते हुए प्राणों की आहुति दी।
1956ः हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम पारित।
1987ः एम.एस. स्वामीनाथन को पहला वर्ल्ड फूड प्राइज मिला।
2009ः नासा ने चांद पर पानी की तलाश के लिए विशेष यान भेजा।