शाकाहार से हृदयरोग नहीं होंगे, ऐसा नहीं है, लेकिन इससे खतरा कम होता है-

शाकाहार से हृदयरोग नहीं होंगे, ऐसा नहीं है, लेकिन इससे खतरा कम होता है-

शारीरिक गतिविधियों की कमी कम उम्र में हृदयरोगों के खतरों को बढ़ा रही है –

कानपुर स्थित रीजेंसी अस्पताल के हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ अभिनीत गुप्ता कहते हैं कि एचडीएल और एलडीएल लाइपोप्रोटीन ही होते हैं जो हमारे शरीर में कोलेस्ट्रॉल का प्रवाह करते हैं और हमारा शरीर उनके बिना काम नहीं कर सकता। इनका स्तर नियंत्रित रखना जरूरी है।

शरीर में कोलेस्टॅाल का स्तर बढने से हृदय रोगों की आशंका अधिक होती है लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक एचडीएल के रूप में हमारे अंदर ‘अच्छा’ कोलेस्ट्रॅाल भी होता है जिसका सही स्तर बनाये रखना जरूरी है और इसके लिए वे मांसाहार की तुलना में कम बसायुक्त शाकाहार को ज्यादा लाभकारी बताते हैं।
डाक्टरों का कहना है कि खराब जीवनशैली, खानपान में असंतुलन और शारीरिक गतिविधियों की कमी कम उम्र में हृदयरोगों के खतरों को बढ़ा रही है। इसके लिए वे संतुलित आहार, व्यायाम को जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा बनाने की सलाह देते हैं।
देश के प्रख्यात मधुमेह रोग विशेषज्ञ डॉ अनूप मिश्रा ने बताया कि एचडीएल को अच्छा कोलेस्ट्रॅाल माना जाता है क्योंकि यह रक्त का प्रवाह करने वाली धमनियों :आर्टरी: की दीवार से नुकसानदेह बसा तत्वों को बाहर करता है और इस तरह आथरोस्क्लेरोसिस से बचाता है। आथरोस्क्लेरोसिस से दिल का दौरा पड़ने का खतरा रहता है। नियमित शारीरिक व्यायम और खानपान में सुधार से इसे सही रखा जा सकता है।
राजधानी स्थित फोर्टिस-सीडॉक अस्पताल के चेयरमैन डा मिश्रा ने कहा कि शाकाहारी लोग आमतौर पर हरी सब्जियां, फल और सूखे मेवे खाते हैं जिससे उनके शरीर में सेचुरेटिड फैट यानी संतृप्त बसा की मात्रा कम होती है। फाइबर, प्रोटीन आदि होने की वजह से ये आहार फायदेमंद होते हैं और खराब कोलेस्ट्रॅाल को कम करते हैं। दूसरी तरफ मांसाहार में अत्यधिक बसा और कोलेस्ट्रॅाल होता है जो आथरोस्क्लेरोसिस के खतरे को बढाता है।
गुडगांव स्थित मेदांता मेडिसिटी में डीजीएम-डायटिक्स डॉक्टर काजल पांड्या येप्थो ने कहा कि हम दिन भर में जो भी कोलेस्ट्रॉल अपने शरीर में ग्रहण करते है, हमें नियमित व्यायाम के जरिये उसकी मात्रा को नियंत्रित रखना चाहिए| रोज 30 मिनट व्यायाम और कम से कम तीन किलोमीटर सैर करना मददगार हो सकता है।
फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के इंटरवेंशनल कॉर्डियोलॉजी के निदेशक और कैथ लैब प्रमुख डॉ अतुल माथुर के अनुसार शाकाहार में मीट की तुलना में कम सेचुरेटिड फैट होता है। अध्ययनों में भी इस बात की पुष्टि हुई है कि शाकाहारी भोजन करने से मोटापा, कोरोनरी आर्टरी की समस्याएं, उच्च रक्तचाप, मधुमेह और यहां तक कि कुछ तरह के कैंसर होने का खतरा कम होता है। मिठाइयों और बसायुक्त आहार का सेवन कम से कम करके, धूम्रपान व शराब को छोडकर और फलों, सब्जियों एवं अनाज का सेवन बढ़ाकर कोलेस्ट्रॉल स्तर को नियंत्रित किया जा सकता है और हृदयरोगों का खतरा कम हो सकता है।
इंडस हेल्थ प्लस के एक ताजा अध्ययन में दिल्लवासियों में 40 से 50 साल की उम्र के 40 प्रतिशत पुरुष और 38 प्रतिशत महिलाओं में मधुमेह होने का पता चला जिससे उनको दिल की बीमारी की आशंका अधिक हो गयी। इनमें से 20 फीसद पुरुष और 22 प्रतिशत महिलाएं मोटापे का भी शिकार थे।
मैक्स स्पेशलिटी अस्पताल में कार्डियक इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी लैब की प्रमुख डॉ वनिता अरोड़ा ने कहा कि शरीर में एचडीएल और एलडीएल का सही अनुपात महत्वपूर्ण होता है और इस पर निगरानी जरूरी है। व्यायाम करके एचडीएल बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि शाकाहार में दूध और दुग्ध उत्पादों में अधिक कोलेस्ट्रॉल होता है इसलिए इनका संतुलित सेवन होना चाहिए। श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टिट्यूट के हृदयरोग विभाग के प्रमुख डॉ अमर सिंघल ने कहा कि कोलेस्ट्रॉल अधिक मात्रा में रेड मीट या ज्यादा बसा युक्त भोजन में पाया जाता है इसलिए जितना मुमकिन हो शाकाहारी भोजन का ही सेवन करना चाहिए।
कानपुर स्थित रीजेंसी अस्पताल के हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ अभिनीत गुप्ता कहते हैं कि एचडीएल और एलडीएल लाइपोप्रोटीन ही होते हैं जो हमारे शरीर में कोलेस्ट्रॉल का प्रवाह करते हैं और हमारा शरीर उनके बिना काम नहीं कर सकता। इनका स्तर नियंत्रित रखना जरूरी है।
अमृतसर स्थित अमनदीप अस्पताल के हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ सुरेश कौल के अनुसार जब हम कोलेस्ट्रॅाल की बात करते हैं तो हम दरअसल एलडीएल की बात करते हैं जिसका अधिक स्तर हमारे शरीर के लिए घातक है लेकिन शरीर के लिए कोलेस्ट्रॅाल जरूरी भी है। शाकाहार में कोलेस्ट्रॅाल की मात्रा कम होने से नुकसान कम होने की बात सामने आई है लेकिन इसमें भी तेल,बसा आदि का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। शाकाहार से हृदयरोग नहीं होंगे, ऐसा नहीं है, लेकिन इससे खतरा कम होता है।
जीवा आयुर्वेद के निदेशक डॉ. प्रताप चौहान के अनुसार, “हाई-कोलेस्ट्रॉल से बचने के लिए कम कैलरी वाले आहार जरूरी हैं। जब आपका कोलेस्ट्रॉल हाई हो जाए तो पाचन पर ध्यान देना और अपच से बचना जरूरी है।’ उन्होंने इसके लिए घरेलू और आयुर्वेदिक नुस्खों को बहुत कारगर बताया।

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