Victoria Gowri ने ली जज बनने पर शपथ, सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज की याचिका, BJP से क्या था उनका जुड़ाव? जानें

Victoria Gowri ने ली जज बनने पर शपथ, सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज की याचिका, BJP से क्या था उनका जुड़ाव? जानें

मद्रास उच्च न्यायालय Madras High Court की वकील लक्ष्मण चंद्र विक्टोरिया गौरी ने मंगलवार को अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में शपथ ले ली। विक्टोरिया गौरी की न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति का कई वकील और वाम दल विरोध कर रहे थे। गौरी की नियुक्ति का मामला उच्चतम न्यायालय भी पहुंचा।

इस मामले में मंगलवार को सुनवाई भी हुई।

आइये जानते हैं विक्टोरिया गौरी कौन हैं? उनके न्यायाधीश बनाने को लेकर विवाद क्या है? इस मामले में उच्चतम न्यायालय में क्या हुआ? गौरी ने विवाद को लेकर क्या कहा? किस व्यवस्था के तहत गौरी न्यायाधीश बनाई गईं?

कौन हैं लक्ष्मण चंद्र विक्टोरिया गौरी? 
लक्ष्मण चंद्र विक्टोरिया गौरी कन्याकुमारी जिले में एक स्वतंत्र कार्यालय स्थापित करने वाली पहली महिला वकील हैं। उन्होंने साल 1995 में मदुरै लॉ कॉलेज में कानून में स्नातक की डिग्री पूरी की। उसी साल विक्टोरिया मद्रास हाईकोर्ट में प्रैक्टिस के लिए आ गईं। 1996 से उन्होंने कन्याकुमारी जिले में अपनी प्रैक्टिस जारी रखी। 2006 में उन्होंने मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै खंडपीठ में प्रैक्टिस करना शुरू किया। 
इसी दौरान उन्होंने वीविक्ट्री नाम से एक लॉ फर्म बनाई जो काफी लोकप्रिय हुई। वीविक्ट्री तमिलनाडु में घरेलू हिंसा के मामलों को देखती है जिसके रिकॉर्ड में 100 से अधिक मामले हैं। फर्म कन्याकुमारी जिले में कानूनी जागरुकता और मुफ्त कानूनी सहायता शिविरों के लिए भी जानी जाती है। वह 2022 से मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै खंडपीठ में केंद्र की सहायक सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) के पद पर थीं।

लक्ष्मण चंद्र विक्टोरिया गौरी की नियुक्ति को लेकर विवाद की शुरुआत कहां से हुई?
दरअसल, बीते सोमवार को इलाहाबाद, कर्नाटक और मद्रास उच्च न्यायालयों में 11 वकीलों और दो न्यायिक अधिकारियों को अतिरिक्त न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति की अनुशंसा की। मद्रास उच्च न्यायालय में नियुक्त वकीलों में से एक वकील लक्ष्मी चंद्रा विक्टोरिया गौरी हैं, जिनके भाजपा BJP से जुड़ाव ने विवाद की शुरुआत की।  

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उनकी पदोन्नति के खिलाफ दायर याचिका में वकीलों ने कहा कि गौरी की राजनीतिक पृष्ठभूमि है जिन्होंने राजनीतिक दल के सदस्य के रूप में भी काम किया है। उनका कहना है कि गौरी भाजपा की महिला मोर्चा की महासचिव रह चुकी हैं। कहा गया कि इस तरह की नियुक्तियां न्यायपालिका को कमजोर कर सकती हैं। वकीलों ने गौरी की धार्मिक कट्टरता को लेकर आपत्ति दर्ज की।  
पिछले हफ्ते, 21 वकीलों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम को पत्र लिखा था। पत्र में विक्टोरिया गौरी का नाम वापस लेने पर फिर से विचार करने के लिए कहा गया।

वकीलों के मुताबिक, गौरी के नाम पर असहमति जताने के बावजूद उनका नाम कॉलेजियम द्वारा वापस लेने से इनकार कर दिया गया। इसके बाद राजनीतिक दल भी विरोध में उतर आए। वाम दलों ने भी लक्ष्मण चंद्र विक्टोरिया गौरी की नियुक्ति का विरोध शुरू कर दिया। 

उच्चतम न्यायालय ने इससे जुड़ी याचिका को सुनने से इंकार कर दिया।

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