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पूरे परिवार का थर्ड डिग्री टार्चर व आपराधिक केस में लिप्त FIR की निष्पक्ष विवेचना 30 दिनों में पूरी हो – उच्च न्यायालय

माननीय न्यायमूर्ति एस पी केसरवानी तथा माननीय न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने रेशम सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा उत्पीड़न की इस प्रकार की कार्यवाही में पुलिस अधिकारियों का निलंबन या ट्रांसफर एक आई वॉश होगा।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीलीभीत पूरनपुर पुलिस द्वारा कोतवाली ले जाकर पूरे परिवार का थर्ड डिग्री टार्चर करने व आपराधिक केस में लिप्त बताने की दोनों एफआईआर की निष्पक्ष विवेचना का निर्देश दिया है और कहा है कि पुलिस अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई की जाए।

कोर्ट ने दोनों कार्यवाही तीन माह में पूरी करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि उत्पीड़न के आरोपी पुलिस अधिकारियों का निलंबन या तबादला आईवाश है। उन पर ठोस कार्रवाई की जानी चाहिए। यह आदेश न्यायमूर्ति एस पी केसरवानी तथा न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने रेशम सिंह की याचिका पर दिया है।


याचिका में घटना की निष्पक्ष जांच कराने, दोषी पुलिस अधिकारियों की तत्काल गिरफ्तारी करने व कोर्ट की मानीटरिंग करने की मांग की गई थी।

क्या है पूरा मामला-

याची अपनी दो बहनों के साथ 2 मई 21 को गमी में शामिल होने पीलीभीत से लखीमपुर खीरी कार से जा रहा था। सुबह 9 बजे अनाज मंडी पर पुलिस ने रोक लिया और गाड़ी के कागज मांगे। दिखाने में समय लगने पर गाली गलौज करने लगे।

विरोध करने पर कोतवाली लाकर मारा पीटा। दूसरे दिन एफआईआर दर्ज करा दी गई। कोतवाली पुलिस की वारदात का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो सिखों में उबाल आ गया। दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी ने गृह मंत्रालय में शिकायत की तो याची की एफआईआर दर्ज की गई। एसपी ने प्राथमिक जांच नहीं की। पुलिस कर्मियों का तबादला कर दिया गया।

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पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई न करने पर यह याचिका दायर की गई थी। कोर्ट ने जवाब मांगा तो सीओ क्राइम बरेली स्वेता कुमारी ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि याची के खिलाफ कई धाराएं हटा ली गईं हैं। परिवार के खिलाफ कार्रवाई ख़त्म कर दी गई है।

पुलिस के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है। जिसपर कोर्ट ने पुलिस व याची दोनों की तरफ से दर्ज एफआईआर की निष्पक्ष जांच करने का निर्देश दिया है। साथ ही पुलिस अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई करने को कहा है।

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