भोपाल : मध्यप्रदेश की विधानसभा ने आज ‘फ्रीडम ऑफ रिलिजन बिल’ पारित कर दिया. बजट सत्र के दौरान विधानसभा में यह बिल पास हो गया.इस बिल पर बहस के लिए 15 मिनट का समय तय किया गया था. इस बिल को गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने पेश किया. बिल को लेकर लंबे समय से चर्चा थी.मध्यप्रदेश सरकार पहले ही इस पर अध्यादेश लेकर आयी थी. इस बिल को लव जिहाद के खिलाफ तैयार किया गया है. भाजपा शासित कई राज्य लव जिहाद के खिलाफ कानून बना चुके हैं. 26 दिसंबर 2020 को ही शिवराज कैबिनेट ने इसे मंजूरी दी. मध्यप्रदेश की सरकार ने उत्तर प्रदेश सरकार के तर्ज पर कई कड़े कानून बनाये हैं.शिवराज सिंह चौहान ने पहले भी इस बिल पर अपनी प्रतिक्रिया दी थी जिसमें उन्होंने कहा, हम मध्यप्रदेश में जबरन धर्मांतरण नहीं होने देंगे. इस नये कानून के तहत जो भी ऐसा करेगा उसे दस साल की सजा होगी और न्यूनतम 50 हजार रुपये का जुर्माना होगा. शिवराज ने चिंता जाहिर की थी पंचायत चुनाव लड़ने के लिए नाबालिग लड़कियों को धर्मांतरण और शादी की कोशिश की गयी. इन सब वजहों से ही ऐसा कानून लाया गया.
आइये जानते हैं क्या हैं इस कानून में ?
इस नये कानून के मुताबिक बहला-फुसलाकर , धमकी देकर ज़बरदस्ती धर्मांतरण और विवाह पर 10 साल की सजा का प्रावधान हैं. धर्मांतरण करने औऱ धर्म बदलकर शादी करने के लिए 1 महीने पहले डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को धर्मांतरण और विवाह करने और करवाने वाले दोनों पक्षों को लिखित में आवेदन प्रस्तुत करना होगा. बगैर आवेदन प्रस्तुत किए धर्मांतरण कराने वाले धर्मगुरु, काजी , मौलवी या पादरी को 5 साल तक की सजा होगी.