नई दिल्ली : कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहा आंदोलन करीब पिछले 6 महीने से चल रहा है। जिस किसान आंदोलन के चलते बीते वर्ष 26 जनवरी को लाल किले पर बहुत हिंसा हुई। दिल्ली पुलिस ने जो आज चार्जशीट दाखिल की है उसके अनुसार,प्रदर्शनकारियों का मकसद सिर्फ लाल किले पर निशान साहिब और किसान संगठन का झंडा लगाना ही सीमित नहीं था, बल्कि वे लाल किले को कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन का नया अड्डा बनाने की फिराक में थे।
इस आंदोलन के चलते लाल किले पर हुई हिंसा आज दाखिल इस चार्जशीट में विस्तृत तौर पर बताई गई है। जिसमें लिखा गया है की हरियाणा और पंजाब में दिसंबर 2020 और दिसंबर 2019 में खरीदे गए ट्रैक्टरों के आंकड़ों को खंगाला था। इस जांच में सामने आया कि दिसंबर 2019 के मुकाबले पिछले साल दिसंबर में पंजाब में ट्रैक्टरों की खरीद 95% बढ़ गई थी। जिस समय आंदोलन बहुत तेज़ रफ़्तार पकड़ रहा था।
आंदोलन की चार्जशीट करीब 3,232 पन्नों की है जिसमें पुलिस ने बताया है कि प्रदर्शनकारियों ने पहले से बनाई गई साजिश को कैसे अंजाम दिया था। पुलिस का कहना है कि लाल किले में घुसी भीड़ का मकसद यह था कि किले को अपने मोर्चे और धरने का नया ठिकाना बनाकर वहीं से आंदोलन को आगे बढ़ाया जाए। लाल किले पर निशान साहिब और किसानों का झंडा फहराने के लिए आरोपियों ने जानबूझकर गणतंत्र दिवस का दिन चुना ताकि राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सरकार को शर्मिंदगी झेलनी पड़े।
इस मामलें की जांच में ये भी खुलासा हुआ है कि निशान साहिब का झंडा लाल किले पर फहराने के लिए पैसे भी देने का वादा किया गया था। इस बात की पुष्टि क आरोपी इकबाल सिंह ने पुलिस के सामने की है की उसे पैसे ऑफर किये गए थे।