उत्तर प्रदेश में 34 जिला न्यायाधीशों का तबादला: प्रयागराज, अलीगढ़, संभल समेत कई जिलों में नए दायित्व

उत्तर प्रदेश में 34 जिला न्यायाधीशों का तबादला: प्रयागराज, अलीगढ़, संभल समेत कई जिलों में नए दायित्व

उत्तर प्रदेश में 34 जिला न्यायाधीशों का तबादला: प्रयागराज, अलीगढ़, संभल समेत कई जिलों में नए दायित्व
इलाहाबाद हाईकोर्ट प्रशासन ने जारी की तबादलों की अधिसूचना, कई वरिष्ठ न्यायिक अधिकारियों को मिली नई जिम्मेदारी

— विधि संवाददाता

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मंगलवार को एक महत्त्वपूर्ण अधिसूचना जारी करते हुए प्रदेश के 34 जिला एवं सत्र न्यायाधीशों के कार्यक्षेत्र में व्यापक बदलाव किया है। प्रयागराज, अलीगढ़, कौशांबी, संभल, प्रतापगढ़, झांसी जैसे प्रमुख जिलों में न्यायिक नेतृत्व बदला गया है। तबादले की यह अधिसूचना उच्च न्यायालय के महानिबंधक राजीव भारती द्वारा बुधवार देर रात जारी की गई।

प्रमुख बदलाव:

  • संजीव कुमार, जो पूर्व में अलीगढ़ के जिला एवं सत्र न्यायाधीश थे, अब प्रयागराज भेजे गए हैं।
  • प्रयागराज के वर्तमान जिला जज संतोष राय को मुजफ्फरनगर में नई जिम्मेदारी दी गई है।
  • अनुपम कुमार, जो अभी कौशांबी में पदस्थ थे, अब अलीगढ़ के जिला जज होंगे।
  • जयप्रकाश यादव, जो महोबा में जिला जज थे, को कौशांबी भेजा गया है।
  • सत्यप्रकाश त्रिपाठी, वर्तमान में रामपुर के जिला जज, को प्रतापगढ़ स्थानांतरित किया गया है।
  • प्रतापगढ़ के वर्तमान जिला जज अब्दुल शाहिद अब पीलीभीत में कार्यभार संभालेंगे।

अन्य महत्वपूर्ण तबादले:

  • डॉ. विदुषी सिंह, जो हापुड़ की पारिवारिक अदालत में प्रधान न्यायधीश थीं, को महोबा का जिला जज बनाया गया है।
  • मयंक चौहान, भूमि अधिग्रहण प्राधिकरण, गौतम बुद्ध नगर से स्थानांतरित होकर अब औरैया के जिला जज होंगे।
  • संजय कुमार-VII को औरैया से बिजनौर भेजा गया है।
  • कमलेश कुच्छल को संभल से झांसी,
  • पदम नारायण मिश्रा को झांसी से मुरादाबाद,
  • विवेक, जो लखनऊ उच्च न्यायालय में कार्यरत थे, को अमरोहा,
  • और जय प्रकाश तिवारी को रामाबाई नगर से वाराणसी स्थानांतरित किया गया है।
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इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा जारी तबादला आदेशों की श्रंखला अधिसूचना संख्या 1187/2025 से लेकर 1228/2025 तक फैली हुई है, जिसमें कुल 42 न्यायिक अधिकारियों के तबादले अथवा नवीन तैनाती का विवरण सम्मिलित है।

प्रभाव और संकेत:

इस व्यापक तबादला प्रक्रिया को न्यायिक प्रशासन में दक्षता, पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। ऐसे निर्णय न्यायिक प्रणाली में नई ऊर्जा और संतुलन लाने में सहायक होते हैं।

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