बेंच ने कहा कि जब वैध खनन पर रोक है तब अवैध खनन कुकुरमुत्ते की तरह बढ़ रहा है-
Supreme Court ने बिहार सरकार को राज्य खनन विभाग के जरिए बुधवार को बालू निकालने की गतिविधियां संचालित करने की अनुमति दे दी।
कोर्ट ने कहा कि बालू खनन पर पूरी तरह से बैन लगाने से सरकारी खजाने को बड़ा नुकसान होता है। साथ ही अदालत ने कहा कि बालू खनन के मुद्दे से निपटते समय पर्यावरण के सुरक्षा मानकों को सुनिश्चित करने के लिए टिकाऊ विकास के संतुलित तरीकों को लागू करना जरूरी है।
जस्टिस एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाले तीन जजों की पीठ ने यह भी निर्देश दिया कि बिहार के सभी जिलों में खनन के लिए जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट तैयार करने की कवायद नए सिरे से की जाएगी।
बेंच ने कहा, ‘इस बात की भी अनदेखी नहीं की जा सकती कि जब वैध खनन पर रोक है तब अवैध खनन कुकुरमुत्ते की तरह बढ़ रहा है और नतीजतन रेत माफिया के बीच संघर्ष, अपराधीकरण और कई बार लोगों की जान जाने जैसे मामले सामने आते रहते हैं।’
कोर्ट ने यह भी कहा कि इस बात से मना नहीं किया जा सकता कि सार्वजनिक बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के निर्माण और सरकारी व निजी निर्माण गतिविधियों के लिए बालू जरूरी है।
पीठ ने कहा कि वैध खनन पर पूरी तरह से प्रतिबंध है। अवैध खनन को बढ़ावा देने से राजकोष को बड़ा नुकसान होता है।
सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के आदेश के खिलाफ बिहार सरकार की अपील पर यह आदेश दिया है। एनजीटी ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि बांका में नए सिरे से जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट तैयार करने की कवायद की जाए।
National Green Tribunal ने अपने आदेश में क्या कहा था
NGT के एक आदेश के खिलाफ बिहार सरकार की अपील पर ये आदेश आया। एनजीटी ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि बांका के लिए नए सिरे से जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट तैयार करने की कवायद की जाए। एनजीटी ने 14 अक्टूबर, 2020 के आदेश में यह भी कहा था कि राष्ट्रीय शिक्षा मान्यता बोर्ड और भारत के प्रशिक्षण/गुणवत्ता नियंत्रण परिषद की ओर से मान्यता प्राप्त परामर्शदाताओं के माध्यम से सर्वेक्षण रिपोर्ट तैयार की जानी चाहिए।
बिहार निवासी पवन कुमार और अन्य की याचिका पर एनजीटी का आदेश आया जिसमें कानून के अनुसार और अधिकरण के अनेक फैसलों समेत नियामक रूपरेखा के अनुरूप उचित तरीके से रेत खनन की अनुमति देने का अनुरोध किया गया है।