Honor killing: यू.पी. के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा – आजादी के 75 साल बाद भी खत्म नहीं हुआ जातिवाद

aldhcsc e1638435746727

Supreme Court – Honor killing जाति से जुड़ी हिंसा की घटनाओं के जारी रहने पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है। कहा है कि आजादी के 75 साल बीतने के बावजूद समाज में जाति के नाम पर हिंसा हो रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी उत्तर प्रदेश में 1991 में हुई आनर किलिंग की घटना पर फैसला सुनाते हुए की। घटना में में दो युवा पुरुषों और एक महिला को करीब 12 घंटे तक पीटा गया। इस पिटाई से उनकी मौत हो गई।

यह घटना जातीय विद्वेष की भावना के चलते हुई। कोर्ट ने प्रशासन को इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने के भी निर्देश दिए।

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, मामलों की सुनवाई सुचारु ढंग से चले और सत्य सामने आए, इसके लिए गवाहों की सुरक्षा जरूरी है। जब आरोपी पक्ष के साथ राजनीतिक लोग, बाहुबली और अमीर लोग हों तब गवाहों की सुरक्षा की जिम्मेदारी बढ़ जाती है।

सर्वोच्च अदालत पीठ ने यह बात मामले में अभियोजन पक्ष के 12 गवाहों के पक्षद्रोही होने के चलते कही है। पीठ ने कहा, जातीय कट्टरता वाली गतिविधियां आज तक जारी हैं, जबकि संविधान सभी नागरिकों को बराबरी की दृष्टि से देखता है। पीठ ने समाज से जाति प्रथा खत्म करने के लिए भारत रत्न डा. भीमराव आंबेडकर के सुझाव को अमल में लाने का भी सुझाव दिया। कहा कि अंतरजातीय विवाहों को बढ़ावा देकर जातिविहीन समाज की स्थापना की जा सकती है।

पीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बीआर गवई भी शामिल थे। मामले में ट्रायल कोर्ट ने नवंबर 2011 में दिए आदेश में 35 आरोपितों को दोषी ठहराकर उनके लिए सजा का एलान किया था, जबकि हाई कोर्ट ने इनमें से दो को बरी करते हुए बाकी की सजा को बरकरार रखा था।

ALSO READ -  सुप्रीम कोर्ट ने आर्य समाज की शादियों को स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत लाने पर लगाई रोक-

उच्च न्यायलय ने आठ दोषियों की मौत की सजा को आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया था। जिन आठ लोगों को मौत की सजा से राहत दी गई थी, उन्हें आखिरी सांस तक जेल में ही रहना होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने तीन लोगों को पहचान स्पष्ट न हो पाने के चलते बरी कर दिया है, लेकिन इलाहाबाद उच्च न्यायलय की बाकी मुजरिमों को दी गई सजा बरकरार रखी है।

Translate »