इलाहाबाद उच्च न्यायलय Allahabad High Court में क्रिमिनल अपीलों Criminal Appeals की पेंडेंसी के बारे में चिंता व्यक्त करते हुए, शीर्ष कोर्ट Supreme Court ने कुछ व्यापक और कार्यकारी मानकों का सुझाव दिए है, जिसे उच्च न्यायलय को जमानत देते समय संज्ञान में रखना चाहिए।
न्यायमूर्ति एसके कौल और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की बेंच ने सौदान सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य में जमानत देते समय निम्नलिखित मापदंडों पर विचार और संज्ञान में रखने का सुझाव दिया –
- उन दोषियों की एक सूची तैयार की जानी चाहिए जो सात साल से अधिक समय से जेल में हैं और दोबारा अपराध नहीं किया हैं। कोर्ट ने कहा कि इन सभी मामलों में इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि अगर दोषियों को रिहा किया जाता है, तो हो सकता है कि दोषियों को अपील करने में दिलचस्पी न हो।
- एक अन्य श्रेणी उन लोगों की है जिन्होंने सात साल से अधिक जेल में बिताया है और उन्हें एक ही बार में जमानत दी जानी चाहिए।
- जो दोषी 14 साल से जेल में हैं, उनका मामला विचार के लिए बोर्ड के पास भेजा जाए।
- राज्य और उच्च न्यायालय को उन मामलों की सूची तैयार करनी चाहिए जहां एक दोषी 14 साल के लिए जेल में है, भले ही उनकी अपील किसी कारनवश लंबित हो।
- एक वकील की अनुपस्थिति के कारण यह नहीं होना चाहिए कि 14 साल से अधिक समय के लिए आदमी जेल में रहे। ऐसे मामलों में, राज्य को उचित रुख अपनाना चाहिए और अदालत को रिहाई के लिए मामलों की जांच करनी चाहिए।
- अगर आरोपी 17 साल से अधिक समय से जेल में है और उच्च न्यायालय ने जमानत खारिज कर दी है क्योंकि वकील ने बहस नहीं की, तो ऐसे व्यक्ति को जमानत से इनकार करना न्याय का मजाक है।
- यदि किसी दोषी ने 14 या 14 वर्ष से अधिक की जेल की है तो मामले में छूट के लिए विचार किया जाना चाहिए और ऐसे मामलों में अदालत को तीन महीने के भीतर छूट का फैसला करना चाहिए या कोर्ट को कम से कम दोषी को जमानत देनी चाहिए।
The criminal appeal stands allowed in the aforesaid terms. A copy of this Order to be placed before Hon’ble the Chief Justice of Allahabad High Court. The order-sheets of this Court including today’s order-sheet be placed in the Suo-Moto proceedings.
न्यायमूर्ति एसके कौल और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की बेंच ने कहा कि वे चाहते थे की निर्णय की प्रति को मुख्य न्यायाधीश इलाहाबाद हाई के समक्ष रखी जाय। इलाहाबाद उच्च न्यायालय एक खाका तैयार करे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट स्वयं व्यापक मानदंड निर्धारित करने पड़े।
केस टाइटल – सौदान सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य
केस नंबर – क्रिमिनल अपील नंबर 308/2022
कोरम – न्यायमूर्ति एसके कौल और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश