सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल कॉलेज में 100 एमबीबीएस विद्यार्थियों के दाखिले पर लगाई रोक, जानें पूरा मामला-

Estimated read time 1 min read

शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र के उस मेडिकल कॉलेज में100 एमबीबीएस M.B.B.S. के विद्यार्थियों के दाखिले पर रोक लगा दी है, जिसने अपने शिशु वार्ड में सभी बच्चों को चुस्त-तंदुरुस्त बताया था और जहां मरीजों के भविष्य में ब्लड प्रेशर के आंकड़े भी दर्ज थे। सर्वोच्च अदालत ने इसके साथ ही बॉम्बे उच्च न्यायलय की औरंगाबाद खंड पीठ के आदेश को खारिज कर दिया।

उच्चतम न्यायलय ने कॉलेज की लापरवाही पर राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) की रिपोर्ट को गंभीरता से लेते हुए एनएमसी को दो महीने के भीतर एम्स और मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर स्तर के अधिकारियों से कॉलेज का दोबारा निरीक्षण कराने को कहा ताकि यह पता लग सके कि वहां आवश्यक नियमों का अनुपालन हो रहा है या नहीं।

न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ, जिसने पहले कॉलेज की तुलना फिल्म ‘मुन्ना भाई एमबीबीएस’ से की थी और हालात पर हैरत जताई थी। पीठ ने कहा, इस स्तर पर प्रथम दृष्टया यह प्रतीत होता है कि प्रवेश को रोकने के लिए आदेश जारी करने के अधिकार की कमी के संबंध में हाईकोर्ट का राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम के तहत धारा 25 के प्रावधान 26 के तहत निष्कर्ष सही नहीं लगता।

पीठ ने गौर किया कि अदालत को इस तथ्य से अवगत कराया गया कि बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद खंड पीठ के 4 मार्च के आदेश के बाद एनएमसी की ओर से 7 मार्च, 2022 को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। उसमें यह पूछा गया था कि आखिर क्यों न कॉलेज की मान्यता रद्द कर दी जाए और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम शुरू करने की अनुमति वापस ले ली जाए।

ALSO READ -  JJ ACT SEC 12 के तहत जुवेनाइल को जमानत देते समय जमानती और गैर-जमानती अपराध में कोई अंतर नहीं: हाईकोर्ट

सुप्रीम कोर्ट पीठ ने कहा, हाईकोर्ट ने एनएमसी की रिपोर्ट को स्वीकारा मगर विद्यार्थियों को जारी रखने को कहा, जिससे उनका भविष्य बुरी तरह प्रभावित होगा। पीठ ने कहा, हम ऐसा नहीं होने देंगे। हमें एक संतुलन बनाना होगा मगर संस्थान के हित में नहीं, विद्यार्थियों के हित में। इस तरह तरह के आदेश गंभीर पूर्वाग्रह से ग्रस्त हैं।

You May Also Like