उच्च न्यायलय कलकत्ता Culcatta High Court ने पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन Public Interest Litigation याचिका पर सुनवाई करते हुए दक्षिण 24 परगना के जिला मजिस्ट्रेट को प्रधानमंत्री आवास योजना योजना के तहत आवंटित धन के कथित हेराफेरी की जांच करने और तीन महीने की अवधि के भीतर एक तर्कसंगत आदेश पारित करने का निर्देश दिया।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज की बेंच एक जनहित याचिका Public Interest Litigation पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि प्रधानमंत्री आवास योजना के सूत्रधार ने सरकारी योजना के तहत आवंटित धन का कथित रूप से दुरुपयोग किया।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने बेंच को आगे बताया कि मार चुके लोगों को फंड जारी किया गया और उन व्यक्तियों को भुगतान किया गया, जिन्होंने कोई निर्माण नहीं किया।
याची के अधिवक्ता ने आगे कहा कि 27 अक्टूबर, 2021 को इस संबंध में दक्षिण 24 परगना के जिला मजिस्ट्रेट को एक अभ्यावेदन दिया गया था, हालांकि उस पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।
पीठ ने उपरोक्त शिकायत को ध्यान में रखते हुए अपने आदेश में कहा-
“याचिकाकर्ता द्वारा यह प्रस्तुत किया गया है कि मृत व्यक्तियों और उन लोगों को धन जारी किया गया है जिन्होंने कोई निर्माण नहीं किया है।”
इसके अलावा अदालत ने दक्षिण 24 परगना के जिला मजिस्ट्रेट को याचिकाकर्ता के प्रतिनिधित्व पर विधिवत विचार करने और धन के कथित दुरुपयोग की जांच करने का निर्देश दिया।
पीठ ने आगे यह भी आदेश दिया गया कि जिला मजिस्ट्रेट को तीन महीने के भीतर एक तर्कपूर्ण आदेश पारित करना होगा और यदि कोई धन की हेराफेरी होती पाई जाती है तो कानून के अनुसार कार्रवाई करनी चाहिए।
अंततः इस प्रकार मामले का निस्तारण किया गया।
इसी तरह के एक मामले में हाईकोर्ट ने सोमवार को जिला मजिस्ट्रेट, पूर्व मेदिनीपुर को प्रधानमंत्री आवास योजना और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) योजना के तहत आवंटित धन के कथित गबन की जांच करने का निर्देश दिया।
केस टाइटल – रायच लस्कर बनाम पश्चिम बंगाल राज्य और अन्य
कोरम – मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज