इलाहाबाद हाईकोर्ट Allahabad High Court ने उत्तर प्रदेश के शवदाह गृहों की दुर्दशा पर चिंता जताई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट Allahabad High Court ने सरकार को हालत सुधारने के लिए ठोस कदम उठाने का निर्देश दिया है।
जस्टिस M C त्रिपाठी और जस्टिस प्रशांत कुमार की डिवीजन बेंच ने टिप्पणी करते हुए कहा कि हम एक ट्रिलियन इकोनॉमी हैं लेकिन आम लोगों के शवदाह की सुविधाओं की किल्लत है। कोर्ट ने कहा कोविड के समय हमने भयावह दृश्य देखा है। जब शव दाह की समुचित व्यवस्था व सुविधाओं की भारी किल्लत थी, कोर्ट ने कहा आज भी शवदाह गृहों की स्थिति दयनीय है। शवदाह गृहों में मूलभूत सुविधाओं की कमी है।
शवदाह गृहों में हर दिन बढ़ रही जनसंख्या-
हाई कोर्ट ने कहा कि शवदाह गृहों में हर दिन जनसंख्या बढ़ रही है और शव दाह केंद्रों में बेसिक सुविधाएं उपलब्ध नहीं है। कोर्ट ने कहा यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आम लोग जीवन-भर संघर्ष करते हैं। अंतिम सांस छोड़ने के बाद उनके शव दाह की बेसिक सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। कोर्ट ने कहा हम एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था वाला देश बन गए हैं। लेकिन आम लोगों के शव दाह की समुचित व्यवस्था करने में नाकाम हैं। कोर्ट ने सरकार को शवदाह केंद्रों की दशा सुधारने के ठोस कदम उठाने का निर्देश दिया है।
प्रस्तुत याचिका पर अगले वर्ष 18 जनवरी 2024 को अगली सुनवाई होगी। कोर्ट ने महाधिवक्ता M C चतुर्वेदी को आदेश की जानकारी अपर मुख्य सचिव शहरी विकास विभाग व पंचायत राज विभाग सहित मुख्य सचिव को देने को कहा है। कोर्ट ने याची राजेंद्र कुमार बाजपेई की याचिका पर सुनवाई की।