नागपुर की एक कोर्ट ने सोमवार को ब्रह्मोस के एक पूर्व इंजीनियर निशांत अग्रवाल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। बताया गया है कि निशांत को 2018 में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए जासूसी करते और जानकारी देने के मामले में गिरफ्तार किया गया था।
वहीं अब उन्हें दोषी पाए जाने के बाद आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। जानकारी के अनुसार निशांत भारत की डीआरडीओ और रूस की सैन्य औद्योगिक कंसोर्शियम (एनपीओ माशिनोस्ट्रोयेनिया) के जॉइंट वेंचर- ब्रह्मोस एयरोस्पेस में सीनियर सिस्टम इंजीनियर पद पर कार्यरत थे।
ब्रह्मोस एयरोस्पेस भारत की सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल विकसित करने पर काम कर रही है, जो कि जमीन, हवा, समुद्र और समुद्र के अंदर से भी लॉन्च की जा सकती है।
निशांत अग्रवाल ब्रह्मोस एयरोस्पेस में सीनियर सिस्टम इंजीनियर थे और मिसाइल परियोजनाओं में शामिल थे। अग्रवाल को आईएसआई को परियोजनाओं के बारे में गोपनीय जानकारी देने के आरोप में उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र एटीएस और मिलिट्री इंटेलिजेंस ने 2018 में नागपुर के पास से गिरफ्तार किया था।
बता दें कि ब्रह्मोस एयरोस्पेस डीआरडीओ और रूस के मिलिट्री इंडस्ट्रियल कंसोर्टियम (एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया) का एक संयुक्त उपक्रम है, जो भारत में सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के विकास और निर्माण का काम करता है। इन सुपरसोनिक मिसाइलों को जमीन, हवा, समुद्र और पानी के नीचे से भी लॉन्च किया जा सकता है।
2018 में जब अग्रवाल की गिरफ्तारी हुई थी, तब उस खबर ने हलचल मचा दी थी क्योंकि यह ब्रह्मोस एयरोस्पेस से जुड़ा यह पहला जासूसी का मामला था। तब आरोप लगे थे कि अग्रवाल दो फेसबुक अकाउंट – नेहा शर्मा और पूजा रंजन के ज़रिए संदिग्ध पाकिस्तानी खुफिया एजेंटों के संपर्क में था। इस्लामाबाद से संचालित इन अकाउंट्स के बारे में माना जाता है कि इन्हें पाकिस्तान के खुफिया एजेंस चला रहे थे।
निशांत अग्रवाल बहुत ही मेधावी इंजीनियर था। उसे डीआरडीओ का यंग साइंटिस्ट अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था। वह NIT कुरुक्षेत्र का छात्र रहा है। चार्जशीट के मुताबिक उसके लैपटॉप से बेहद गोपनीय फाइलें मिली थीं। इसके अलावा, एक सॉफ्टवेयर भी पाया गया था, जिससे लैपटॉप में मौजूद संवेदनशील तकनीकी जानकारियों को विदेशों और असामाजिक तत्वों को भेजा गया था।