सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने एक ऐतिहासिक फैसले में लाइट मोटर व्हीकल (एलएमवी) लाइसेंस धारकों को अब कानूनी तौर पर 7,500 किलोग्राम तक के बिना लदे वजन वाले परिवहन वाहन चलाने की अनुमति है।
अपने लैंडमार्क निर्णय में कोर्ट ने “यह कानूनी सवाल दुर्घटना मामलों में बीमा कंपनियों की तरफ से मुआवजे के दावों के विवादों का कारण बन रहा था, जिनमें एलएमवी ड्राइविंग लाइसेंस धारकों की तरफ से ट्रांसपोर्ट वाहन चलाए जा रहे थे” को लेकर बड़ा फैसला सुनाया दिया।
अपने ऐतहासिक निर्णय की शुरुआत मज़ाकिया अंदाज़ में करते हुए पांच जजों के संविधान पीठ का फैसला सुनाते हुए जस्टिस रॉय ने सड़क पर ड्राइवरों की क्षमता की धारणा पर, हास्य अभिनेता जॉर्ज कार्लिन ने यह हास्यपूर्ण टिप्पणी की कि – ‘क्या आपने कभी गौर किया है कि आपसे धीमी गति से गाड़ी चलाने वाला व्यक्ति मूर्ख है, और आपसे तेज़ चलने वाला व्यक्ति पागल है?’
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ सहित चार न्यायाधीशों की पीठ की ओर से न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय द्वारा लिखे गए इस फैसले को देश भर में एलएमवी लाइसेंसधारियों के लिए आजीविका के अवसरों को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है।
कोर्ट ने कहा कि ऐसे कोई आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, जिससे यह साबित हो सके कि देश में सड़क दुर्घटनाओं में वृद्धि के लिए एलएमवी लाइसेंस धारक जिम्मेदार हैं। न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय ने प्रधान न्यायाधीश सहित चार न्यायाधीशों की ओर से फैसला लिखते हुए कहा कि यह मुद्दा हल्के मोटर वाहन लाइसेंस धारकों वाले चालकों की आजीविका से संबंधित है।
न्यायालय ने लंबे समय से चले आ रहे कानूनी सवाल पर विचार किया: क्या एलएमवी लाइसेंस धारक कानूनी तौर पर 7,500 किलोग्राम तक के बिना लदे वजन वाले परिवहन वाहन को चला सकता है? विभिन्न बीमा दावा विवादों से उपजा यह मामला मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ द्वारा फिर से विचार किए जाने के बाद इस सकारात्मक फैसले के साथ समाप्त हुआ है।
हाल के वर्षों में, बीमा कंपनियों ने एलएमवी लाइसेंसधारी चालकों द्वारा चलाए जा रहे परिवहन वाहनों से जुड़ी दुर्घटनाओं में भुगतान के खिलाफ तर्क दिया है, यह तर्क देते हुए कि ऐसे लाइसेंस बड़े वाहनों को कवर नहीं करते हैं। सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय सीधे तौर पर LMV लाइसेंसिंग अधिकारों की सीमा को स्पष्ट करके इन आपत्तियों को संबोधित करता है और उन्हें निरस्त करता है।
यह निर्णय मोटर वाहन अधिनियम, 1988 में संशोधन के लिए चल रहे परामर्श के बीच आया है। हालाँकि प्रस्तावित विधायी परिवर्तन अभी संसद में प्रस्तुत किए जाने हैं, जो आगामी शीतकालीन सत्र में अपेक्षित है, लेकिन आज का निर्णय स्वतंत्र रूप से LMV लाइसेंस धारकों के लिए ड्राइविंग विशेषाधिकारों का विस्तार करता है। केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि ये परिवर्तन जल्द ही पेश किए जाने वाले हैं, जो वर्तमान वास्तविकताओं के लिए कानून के सक्रिय समायोजन को दर्शाता है।
यह निर्णय मुकुंद देवांगन बनाम ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड मामले में 2017 के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद आया है, जिसने शुरू में यह मिसाल कायम की थी कि 7,500 किलोग्राम से कम वजन वाले परिवहन वाहन LMV श्रेणी में आते हैं। यह हालिया फैसला न केवल मुकुंद देवांगन मामले में स्थापित सिद्धांतों की पुष्टि करता है बल्कि पिछले निर्णयों को वर्तमान विधायी इरादों के साथ संरेखित करते हुए उन पर विस्तार करता है।
कोर्ट ने कहा की उपरोक्त चर्चा के बाद हमारे निष्कर्ष इस प्रकार हैं-
(I) 7,500 किलोग्राम से कम सकल वाहन भार वाले वाहनों के लिए धारा 10(2)(डी) के तहत लाइट मोटर व्हीकल (एलएमवी) श्रेणी के लिए लाइसेंस रखने वाले ड्राइवर को एमवी अधिनियम की धारा 10(2)(ई) के तहत विशेष रूप से ‘ट्रांसपोर्ट व्हीकल’ श्रेणी के लिए अतिरिक्त प्राधिकरण की आवश्यकता के बिना ‘ट्रांसपोर्ट व्हीकल’ चलाने की अनुमति है। लाइसेंसिंग उद्देश्यों के लिए, एलएमवी और ट्रांसपोर्ट व्हीकल पूरी तरह से अलग-अलग वर्ग नहीं हैं। दोनों के बीच एक ओवरलैप मौजूद है। विशेष पात्रता आवश्यकताएं हालांकि, ई-कार्ट, ईरिक्शा और खतरनाक सामान ले जाने वाले वाहनों के लिए लागू होती रहेंगी।
(II) धारा 3(1) का दूसरा भाग, जो ‘ट्रांसपोर्ट व्हीकल’ चलाने के लिए एक विशिष्ट आवश्यकता की आवश्यकता पर जोर देता है, एमवी अधिनियम की धारा 2(21) में प्रदान की गई एलएमवी की परिभाषा को अधिरोहित नहीं करता है।
(III) एमवी अधिनियम और एमवी नियमों में आम तौर पर ‘परिवहन वाहन’ चलाने के लिए निर्दिष्ट अतिरिक्त पात्रता मानदंड केवल उन लोगों पर लागू होंगे जो 7,500 किलोग्राम से अधिक सकल वाहन भार वाले वाहन चलाने का इरादा रखते हैं, यानी ‘मध्यम माल वाहन’, ‘मध्यम यात्री वाहन’, ‘भारी माल वाहन’ और ‘भारी यात्री वाहन’।
(IV) मुकुंद देवांगन (2017) के फैसले को बरकरार रखा गया है, लेकिन इस फैसले में हमारे द्वारा बताए गए कारणों से। किसी भी अप्रिय चूक की अनुपस्थिति में, यह निर्णय ‘पर इनक्यूरियम’ नहीं है, भले ही एमवी अधिनियम और एमवी नियमों के कुछ प्रावधानों पर उक्त फैसले में विचार नहीं किया गया हो। संदर्भ का उत्तर उपरोक्त शर्तों में दिया गया है।
रजिस्ट्री को भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश से निर्देश प्राप्त करने के बाद उचित पीठ के समक्ष मामलों को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया जाता है।
अस्तु न्यायालय ने एलएमवी लाइसेंसधारियों के लिए कानूनी रूप से भारी परिवहन वाहन चलाने का रास्ता साफ कर दिया है, जिससे परिवहन उद्योग और बीमा दावा प्रक्रियाओं दोनों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।
वाद शीर्षक – मेसर्स बजाज एलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम रम्भा देवी एवं अन्य।
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