SCBA सदस्यों पर हमला मामले में पेश न होने पर सुप्रीम कोर्ट ने गौतम बुद्ध नगर कोर्ट बार एसोसिएशन को चेतावनी दी, अध्यक्ष और सचिव तलब

SCBA सदस्यों पर हमला मामले में पेश न होने पर सुप्रीम कोर्ट ने गौतम बुद्ध नगर कोर्ट बार एसोसिएशन को चेतावनी दी, अध्यक्ष और सचिव तलब

यह मामला न केवल अधिवक्ताओं की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया की सुचारूता को बनाए रखने के लिए भी महत्वपूर्ण है

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को गौतम बुद्ध नगर जिला अदालत बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और सचिव को तलब करते हुए चेतावनी दी कि यदि वे अगली सुनवाई में पेश नहीं हुए, तो इसे गंभीरता से लिया जाएगा। यह मामला सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन Supreme Court Bar Association के दो सदस्यों पर हुए कथित हमले से जुड़ा हुआ है।

न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने बार एसोसिएशन के वरिष्ठ अधिकारियों को नोटिस जारी कर 17 फरवरी तक जवाब देने का निर्देश दिया। अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि वे अगली सुनवाई में उपस्थित नहीं हुए, तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।

मामले की पृष्ठभूमि

यह मामला गौतम बुद्ध नगर जिला अदालत परिसर में वकीलों की हड़ताल से संबंधित है, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रवक्ता और वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव भाटिया सहित दो SCBA सदस्यों पर कथित रूप से हमला किया गया था। यह घटना मार्च पिछले वर्ष की है।

कोर्ट परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरे CCTV Camera काम नहीं कर रहे थे, जिससे हमलावरों की पहचान नहीं हो सकी।

अदालत में हुई सुनवाई

सुनवाई के दौरान, गौरव भाटिया ने अदालत को अवगत कराया कि संबंधित अदालत में बार-बार होने वाली हड़तालें गंभीर समस्या बन चुकी हैं, जिसके कारण वकीलों को न्यायिक कार्यवाही से वंचित रहना पड़ता है और न्यायिक प्रक्रिया बाधित होती है।

इसके अलावा, यह भी तर्क दिया गया कि सुप्रीम कोर्ट के पहले के आदेश के अनुसार, गौतम बुद्ध नगर जिला अदालत बार एसोसिएशन को दोषियों की पहचान करने का दायित्व सौंपा गया था, लेकिन इस दिशा में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।

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दूसरी ओर, गौतम बुद्ध नगर जिला अदालत बार एसोसिएशन का पक्ष रखने वाले अधिवक्ता ने अदालत को सूचित किया कि अदालत परिसर में नए सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने बार एसोसिएशन को नोटिस जारी कर चेतावनी दी कि अगली सुनवाई में वरिष्ठ अधिकारी स्वयं उपस्थित हों। अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि वे निर्धारित तिथि पर पेश नहीं होते हैं, तो इसे गंभीरता से लिया जाएगा और आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

यह मामला न केवल अधिवक्ताओं की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया की सुचारूता को बनाए रखने के लिए भी महत्वपूर्ण है।

सुप्रीम कोर्ट का यह रुख यह दर्शाता है कि अदालतें अधिवक्ताओं की सुरक्षा को गंभीरता से ले रही हैं और किसी भी प्रकार की न्यायिक बाधा को रोकने के लिए तत्पर हैं। आगामी सुनवाई में बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और सचिव की उपस्थिति इस मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है।

 

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