सुप्रीम कोर्ट में सीपीआईएल की याचिका पर सुनवाई: सीएजी नियुक्ति प्रक्रिया में स्वतंत्र समिति की मांग

सुप्रीम कोर्ट में सीपीआईएल की याचिका पर सुनवाई: सीएजी नियुक्ति प्रक्रिया में स्वतंत्र समिति की मांग

🏛️ सुप्रीम कोर्ट में सीपीआईएल की याचिका पर सुनवाई: सीएजी नियुक्ति प्रक्रिया में स्वतंत्र समिति की मांग


🔍 मामले की पृष्ठभूमि:

सुप्रीम कोर्ट ने सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (CPIL) द्वारा दायर जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई की, जिसमें भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की नियुक्ति एक स्वतंत्र समिति के माध्यम से करने की मांग की गई है। प्रस्तावित समिति में प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) शामिल होंगे।


⚖️ अदालत की कार्यवाही:

  • पीठ: न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन.के. सिंह
  • अदालत ने इस मामले को तीन-न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए उपयुक्त माना।

🗨️ प्रशांत भूषण के तर्क:

सीपीआईएल की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने दलील दी कि हाल के वर्षों में सीएजी की स्वतंत्रता कमजोर हुई है।

  • मुख्य बिंदु:
    • महाराष्ट्र में चुनाव से पहले सीएजी की रिपोर्ट को रोकने जैसे उदाहरण।
    • सरकार द्वारा सभी रिपोर्ट्स को सार्वजनिक न करने का आरोप।
    • संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर और 2011 के संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव का हवाला।

🧐 न्यायालय की टिप्पणियां:

  • न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा,

“हमें अपनी संस्थाओं पर भरोसा करना होगा, लेकिन स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा उपाय भी जरूरी हैं। यदि नियुक्ति प्रक्रिया केवल सरकार के हाथ में छोड़ दी जाए, तो सीएजी की वास्तविक स्वतंत्रता पर सवाल उठेंगे।”

  • अदालत ने यह भी कहा कि संविधान ने सीएजी की नियुक्ति के लिए सरकार को पूरी शक्ति दी है, लेकिन सवाल यह है कि क्या अदालत इस प्रावधान को संशोधित कर सकती है।

📜 सीपीआईएल की याचिका में मांगी गई राहत:

  1. सीएजी की नियुक्ति की मौजूदा प्रक्रिया को असंवैधानिक घोषित करना, जो केवल कार्यकारी और प्रधानमंत्री के अधिकार क्षेत्र में है।
  2. स्वतंत्र चयन समिति द्वारा नियुक्ति अनिवार्य करना, जिसमें प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश शामिल हों।
  3. सीएजी पद के लिए प्रस्तावित व्यक्तियों की जानकारी सार्वजनिक करने का आदेश, जैसा कि केंद्रीय सूचना आयोग के न्यायिक नियुक्तियों के मामले में अनजली भारद्वाज बनाम भारत संघ में किया गया था।
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निष्कर्ष:

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए इसे तीन-न्यायाधीशों या संवैधानिक पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए उपयुक्त माना है। अगली सुनवाई के लिए जल्द ही तिथि निर्धारित की जाएगी।

वाद शीर्षक – सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन बनाम यूनियन ऑफ इंडिया एवं अन्य
वाद संख्या – डब्ल्यू.पी.(सी) संख्या 194/2025; डायरी संख्या 8257/2025

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