सड़क दुर्घटना पीड़ितों की सुरक्षा और तेज़ राहत को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त, 6 महीने में दाखिल करें रिपोर्ट
⚖️ सुप्रीम कोर्ट की चिंता: पीड़ितों को तुरंत राहत न मिलना गंभीर मुद्दा
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस उज्जल भुयान की पीठ ने सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों की सुरक्षा और उन्हें त्वरित सहायता दिलाने को लेकर महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ कीं।
🛑 कोर्ट ने कहा:
“हमारे देश में सड़क दुर्घटनाएँ बढ़ रही हैं। कई बार पीड़ित को तुरंत मदद नहीं मिलती। कई बार वे गाड़ी में फँस जाते हैं। राज्यों को तुरंत प्रतिक्रिया प्रणाली (Swift Response Protocol) विकसित करनी चाहिए।”
🕒 6 महीने का समय सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को
- सभी राज्यों और UTs को निर्देश दिया गया है कि वे 6 महीने में रिपोर्ट दाखिल करें जिसमें यह बताया जाए कि सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिए तत्काल सहायता की व्यवस्था कैसे सुनिश्चित की जाएगी।
- कोर्ट को यह भी बताया गया कि NHAI ने एक प्रारूप (प्रोटोकॉल) तैयार किया है।
📑 कोर्ट का निर्देश:
“NHAI उस प्रोटोकॉल की कॉपी सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को भेजे। और NHAI 6 महीने के अंदर एक शपथपत्र दाखिल करे जिसमें उठाए गए कदमों का विवरण हो।”
🛣️ नेशनल रोड सेफ्टी बोर्ड अभी तक सिर्फ कागज़ों पर
- कोर्ट को यह भी बताया गया कि “नेशनल रोड सेफ्टी बोर्ड” का गठन Motor Vehicles Act में प्रावधान होने के बावजूद आज तक नहीं हुआ है।
- कोई चेयरपर्सन या सदस्य नियुक्त नहीं किए गए।
📝 कोर्ट का आदेश:
“केंद्र सरकार 2 हफ्ते के भीतर एक हलफनामा दाखिल करे जिसमें बोर्ड गठन की समय-सीमा बताई जाए।”
🚫 यूपी मोटर व्हीकल्स एक्ट: ट्रैफिक अपराधी बरी हो जाते हैं?
- यूपी एक्ट में एक प्रावधान के तहत अगर जुर्माना समय पर नहीं भरा गया तो मामला स्वतः समाप्त (abate) हो जाता है।
- कोर्ट ने कहा:
“प्रथम दृष्टया, इससे ऐसा प्रतीत होता है कि ट्रैफिक अपराधी बिना किसी सज़ा के छूट जाते हैं।”
- यूपी सरकार से इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।
🕰️ ड्राइवरों की कार्य अवधि की अनदेखी
- Motor Vehicles Act के तहत ड्राइवरों की अधिकतम ड्यूटी:
- 8 घंटे प्रतिदिन
- 48 घंटे प्रति सप्ताह
- लेकिन कोर्ट ने पाया कि इन प्रावधानों का कोई क्रियान्वयन नहीं हो रहा।
🚛 निर्देश:
- सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय सभी राज्यों के साथ बैठक करे और इन प्रावधानों के प्रभावी क्रियान्वयन की रणनीति तैयार करे।
- सभी राज्य और UTs अगस्त के अंत तक रिपोर्ट दें।
📊 सड़क दुर्घटनाओं पर वार्षिक रिपोर्ट 2023 अब तक लंबित
- कोर्ट ने कहा कि यह रिपोर्ट 6 महीने के भीतर प्रकाशित होनी चाहिए ताकि जनता समय पर जानकारी प्राप्त कर सके।
- 2023 की रिपोर्ट को अगस्त 2025 तक प्रस्तुत करने का आदेश।
🔍 निष्कर्ष:
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि सड़क सुरक्षा केवल नीति का विषय नहीं बल्कि राज्य की संवैधानिक जिम्मेदारी है। यह आदेश भारत में दुर्घटनाओं में घायल व्यक्तियों को तुरंत सहायता, कानूनी जवाबदेही, और सुरक्षित ड्राइविंग परिवेश सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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