आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश और पत्नी की गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक
लखनऊ | विधि संवाददाता
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने सोमवार को हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति अनिल कुमार और उनकी पत्नी वंदना श्रीवास्तव को बड़ी राहत देते हुए गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगा दी है।
यह आदेश न्यायमूर्ति आलोक माथुर और न्यायमूर्ति श्रीप्रकाश सिंह की ग्रीष्मावकाशकालीन खंडपीठ ने पारित किया।
पूर्व न्यायमूर्ति और उनकी पत्नी पर आरोप है कि उनके नौकर महेश निषाद ने उन पर चोरी का आरोप लगने के बाद आत्महत्या कर ली थी, और एफआईआर में आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया है। याचिका में एफआईआर को रद्द करने की मांग की गई थी, जिसे 2 अप्रैल 2025 को मृतक की पत्नी कविता निषाद ने दर्ज कराया था।
याचिका में क्या कहा गया?
याचियों की ओर से अधिवक्ता प्रांशु अग्रवाल ने कोर्ट को बताया कि मृतक महेश निषाद ने 18 मार्च 2025 को थाना अलीगंज में यह स्वीकार किया था कि उसने सेवानिवृत्त जज के घर से ₹6.5 लाख की चोरी की थी। उसने थाने में अपने छोटे भाई और पत्नी की मौजूदगी में एक लिखित समझौता किया था कि वह शेष रकम छह महीने के भीतर लौटा देगा।
इस समझौते के 13 दिन बाद, यानी 31 मार्च को महेश ने आत्महत्या कर ली। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि इस अंतराल के कारण यह नहीं कहा जा सकता कि आत्महत्या के लिए उकसाया गया था।
अन्य तथ्यों पर ज़ोर
याचिका में यह भी कहा गया कि मृतक पर बैंकों का भारी कर्ज था, और उसका घर नीलामी की प्रक्रिया में था। अतः आत्महत्या का कारण आर्थिक संकट भी हो सकता है, न कि याचिकाकर्ताओं का कथित दबाव।
राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि मामले की विवेचना जारी है।
हाईकोर्ट की टिप्पणी और आदेश
कोर्ट ने प्रथम दृष्टया यह पाया कि मामले में धारा 306 IPC (आत्महत्या के लिए उकसाने) के आवश्यक तत्व स्पष्ट नहीं हैं। इसके मद्देनजर कोर्ट ने पूर्व न्यायमूर्ति और उनकी पत्नी की गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगा दी और राज्य सरकार को चार सप्ताह में जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।
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