हाई कोर्ट से आदेश वापस लेने की जिद, याची पर एक लाख रूपये का जुर्माना, वकील पर भी गिरी गाज-

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हिनू पोखर टोली में रास्ता विवाद में झारखण्ड उच्च न्यायलय Jharkhand High Court से पूर्व आदेश वापस लेने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति दिवेदी ने याचिकाकर्ता बसंती कच्छप पर एक लाख का जुर्माना लगाया है। साथ ही साथ अदालत ने याचिकाकर्ता के वकील पर भी गंभीर टिप्पणी की और वकील के व्यवहार को अनुचित मानते हुए मामले को झारखण्ड बार कौंसिल के पास भेज दिया है।

न्यायमूर्ति एसके द्विवेदी की अदालत ने पिछले दिनों हिनू पोखर टोली में रास्ता बंद किए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए रांची नगर निगम और जिला प्रशासन को बाउंड्री तोड़ कर रास्ता देने का निर्देश दिया था।

सोमवार को रांची नगर निगम की ओर से बताया गया कि प्रार्थी को रास्ता दे दिया गया है। इस बीच पोखर टोली की बसंती कच्छप की ओर से हस्तक्षेप याचिका दायर की गयी। इसमें कहा गया था कि हाईकोर्ट का आदेश उचित नहीं है। वह अपना आदेश वापस ले। जमीन पर प्रार्थी की ओर से दावा किया गया।

याचिकाकर्ता के तरफ से कहा गया कि उक्त भूमि पाहन की भूमि है। इस पर ग्रामीण पूजा करते हैं। निजी भूमि से मार्ग नहीं दिया जा सकता। अदालत ने कहा कि मामले में पहले दिन से ही अदालत ने स्पष्ट किया है कि वह जमीन के मालिकाना हक (Title) का फैसला नहीं कर रही है। इसके लिए सभी पक्षों को सक्षम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए। उच्च न्यायलय ने रास्ता सुना है और यह मौलिक अधिकार है। लेकिन प्रार्थी की ओर से बार- बार आदेश वापस लेने का आग्रह किया जा रहा था।

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अदालत ने कहा कि प्रार्थी 1953 से उक्त रास्ते का इस्तेमाल कर रही हैं। एसएआर कोर्ट के तहत बीस साल से अधिक रास्ता इस्तेमाल करने पर नगर निगम उसे स्ट्रीट (रास्ता) का दर्जा प्रदान कर देता है। हस्तक्षेप कर्ता की ओर से कहा गया कि संविधान के नियम के अनुसार अनुसूचित जिले में नगर निगम अवैध संस्था है। प्रार्थी की ओर से इस पर 2008 में हाई कोर्ट के खंडपीठ के आदेश का हवाला दिया।

जिसमें कोर्ट ने रांची नगर निगम के अस्तित्व को सही माना है। हस्तक्षेप कर्ता की ओर से बार- बार आदेश वापस लेने का आग्रह किया जा रहा था। इस पर अदालत ने नाराजगी जाहिर की ओर उन पर एक लाख का जुर्माना लगा दिया। प्रार्थी के वकील के आचरण को अनुकूल नहीं पाते हुए अदालत ने यह मामला बार काउंसिल को भेज दिया।

अदालत ने नाराजगी जाहिर की ओर याची पर एक लाख का जुर्माना लगा दिया। याची के वकील के आचरण को अनुकूल नहीं पाते हुए अदालत ने वकील के खिलाफ टिप्पणी करते हुए मामला झारखण्ड बार कौंसिल को भेज दिया।

जानकारी हो कि पिछले दिनों प्रशासन द्वारा जमीन की चहारदीवारी तोड़ कर रास्ता दिए जाने के बाद आदिवासी संगठनों ने इसका विरोध किया था। विरोध करने वाले उसे सरना की जमीन बता रहे थे। प्रशासन की कार्रवाई के विरोध में हिनू चौक को आठ घंटे जाम रखा गया था।

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