एक वकील अपने मुवक्किल का Power of Attorney और उसका Advocate दोनों एक साथ नहीं हो सकता: दिल्ली उच्च न्यायलय

Power of Attorney

Delhi high Court दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि अधिवक्ताओं द्वारा अपने मुवक्किलों के मुख्तारनामा धारक (power of attorney holders) और मामले में अधिवक्ताओं के रूप में कार्य करने की प्रथा अधिवक्ता अधिनियम, 1961 के प्रावधानों के विपरीत है।

न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने यह देखते हुए कि उक्त पहलू को शहर के सभी ट्रायल कोर्ट द्वारा पूरी तरह से सुनिश्चित किया जाना है, निर्देश दिया कि आदेश की एक-एक प्रति रजिस्ट्री द्वारा सभी निचली अदालतों को भेजी की जाए।

दालत का आशय –

“यह स्पष्ट किया जाता है कि अधिवक्ताओं द्वारा अपने मुवक्किलों के पॉवर ऑफ अटार्नी के साथ साथ उनके वकील के रूप में कार्य करने की प्रथा अधिवक्ता अधिनियम, 1961 के प्रावधानों के विपरीत है।”

कोर्ट ने यह भी जोड़ा,

“किसी भी मुवक्किल के मामले में पेश होने वाले अधिवक्ता को केवल एक भूमिका निभानी होगी, अर्थात कार्यवाही में अधिवक्ता की भूमिका निभानी होगी और वह पॉवार ऑफ अटार्नी होल्डर के रूप में कार्य नहीं कर सकता। वह अपने मुवक्किल की ओर से याचिकाओं को सत्यापित कर सकता है, आवेदन या कोई अन्य दस्तावेज दाखिल कर सकता है या उसकी ओर से सबूत दे सकता है।”

अदालत एक ही संपत्ति से संबंधित तीन अलग-अलग मुकदमों से उत्पन्न तीन याचिकाओं पर विचार कर रही थी। याचिकाओं में सवाल यह था कि क्या एक अमरजीत सिंह साहनी, जो वादी के मुख्तारनामा धारक के रूप में कार्य कर रहा है और जिसने उक्त वादी की ओर से वादी की पुष्टि की है, इस मामले में वकील के रूप में भी पेश हो सकता है? एक मामले में उन्होंने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि वह अपना वकालतनामा वापस ले लेंगे और पॉवर ऑफ अटॉर्नी होल्डर के रूप में बने रहेंगे।

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अधिवक्ता द्वारा यह आश्वासन भी दिया गया कि वह निचली अदालत की कार्यवाही में अपना वकालतनामा वापस ले लेंगे और इस मामले में वादी के वकील के रूप में कार्य नहीं करेंगे। उक्त आश्वासन को रिकॉर्ड में लेते हुए कोर्ट का विचार था कि मामलों में आगे कोई टिप्पणी पारित नहीं की जानी है। वकील ने अदालत को यह भी बताया कि पक्षकारों के बीच विवाद को 30 जुलाई, 2021 के डीड ऑफ सेटलमेंट/समझौता ज्ञापन के जरिए सुलझा लिया गया।

कोर्ट का कहना है की “चूंकि इस न्यायालय ने मूल समझौता ज्ञापन का अध्ययन किया और पंकज और साहनी दोनों पुष्टि करते हैं कि समझौता ज्ञापन/निपटान विलेख निष्पादित किया गया है।

अब याचिकाओं का निपटारा किया जाता है, क्योंकि विवादों का निपटारा हो गया है। इन याचिकाओं पर आगे कोई आदेश नहीं मांगा जाता है।” तदनुसार, कोर्ट ने पक्षों को निपटान पेश करने और उसी की रिकॉर्डिंग के लिए 28 जनवरी, 2022 को निचली अदालत में पेश होने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा, “निपटान की रिकॉर्डिंग के समय विचारण न्यायालय, यदि वह उचित समझे तो अपने मुख्तारनामा धारकों के अलावा स्वयं पक्षकारों के बयान भी दर्ज कर सकता है। पक्षकार वर्चुअल रूप से भी पेश हो सकते हैं, क्योंकि वादी को थाईलैंड का निवासी बताया जा रहा है। न्यायालय पक्षों के बयान दर्ज किए जाने के बाद कानून के अनुसार, अपनी संतुष्टि दर्ज कर सकते हैं।”

केस टाइटल – अनिल कुमार और अन्य बनाम अमित और अन्य जुड़े मामले
केस नंबर – C.R.P. 75/2020 & CM APPL. 29472/2020
कोरम – न्यायमूर्ति प्रतिभा एम् सिंह

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