इलाहाबाद HC ने “पावर का गलत प्रयोग” करके बिना नोटिस फर्म को ब्लैकलिस्ट करने पर जिला मजिस्ट्रेट पर 1,00,000/- रुपए का लगाया जुर्माना

इलाहाबाद HC ने “पावर का गलत प्रयोग” करके बिना नोटिस फर्म को ब्लैकलिस्ट करने पर जिला मजिस्ट्रेट पर 1,00,000/- रुपए का लगाया जुर्माना

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक एकल स्वामित्व वाली फर्म को बिना नोटिस दिए काली सूची में डालने तथा अनिश्चित काल के लिए काली सूची में डालने के लिए जिला मजिस्ट्रेट पर 1,00,000/- रुपए का जुर्माना लगाया है।

रामराजा कंस्ट्रक्शन नामक फर्म ने अपने मालिक जौहर सिंह के माध्यम से जिला मजिस्ट्रेट के आदेश के विरुद्ध निर्देश देने तथा उसे रद्द करने की मांग करते हुए रिट याचिका दायर की।

न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्रा तथा न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने कहा, “याचिकाकर्ता को बिना नोटिस दिए काली सूची में डालने तथा अनिश्चित काल के लिए काली सूची में डालने में प्रतिवादियों द्वारा अपनाई गई अवैध प्रक्रिया, तथा वह भी बिना किसी वैधानिक मंजूरी के, को देखते हुए, यह न्यायालय पाता है कि यह प्रतिवादियों द्वारा शक्ति का गलत प्रयोग है।”

मामले की पृष्ठभूमि –

ऐसा प्रतीत होता है कि अधिशासी अभियंता द्वारा दिनांक 8.6.2023 को जिला मजिस्ट्रेट, झांसी को एक पत्र लिखा गया था, जिसमें कहा गया था कि 59 फर्मों को 3 वर्षों से अधिक समय से निविदा प्रक्रिया में भाग लेने से रोक दिया गया है, जिससे कठिनाई हो रही है और 59 फर्मों के खिलाफ निविदा प्रक्रिया में भाग लेने से रोक को रोकना उचित होगा। याचिकाकर्ता का तर्क था कि 24 जनवरी, 2020 को याचिकाकर्ता को कारण बताओ नोटिस दिए बिना ही ब्लैकलिस्ट करने का आदेश पारित कर दिया गया और उसे अनिश्चित काल के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया गया। इससे पहले याचिकाकर्ता द्वारा एक रिट याचिका दायर की गई थी, जिसका निपटारा जिला मजिस्ट्रेट को याचिकाकर्ता की शिकायत पर विचार करने और यथासंभव शीघ्रता से, अधिमानतः एक महीने के भीतर ब्लैकलिस्टिंग आदेश को सूचीबद्ध करने के अनुरोध पर विचार करते हुए उचित तर्कपूर्ण आदेश पारित करने का निर्देश देकर किया गया था।

ALSO READ -  कानूनी सेवाओं के लिए घंटे के हिसाब से बिलिंग एक गलत, कानूनी पेशा समाज की सेवा के लिए है न कि एक मशीन जो एटीएम की तरह व्यवहार करती है

एक अन्य आदेश द्वारा, याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन को इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि ब्लैकलिस्टिंग की अवधि को निर्दिष्ट करने वाला कोई दिशानिर्देश नहीं था और ब्लैकलिस्टिंग का निर्णय राज्य सरकार के स्तर पर लिया गया था। ऐसे आदेश से व्यथित होकर, याचिकाकर्ता उच्च न्यायालय के समक्ष था।

उपर्युक्त संबंध में उच्च न्यायालय ने कहा, “प्रतिवादी संख्या 1 और 2 की ओर से दायर जवाबी हलफनामे में कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि ब्लैकलिस्टिंग का आदेश पारित करने से पहले याचिकाकर्ता को कोई अवसर या नोटिस दिया गया था।” न्यायालय ने कहा कि सिंचाई विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के कृत्यों के कारण याचिकाकर्ता को कड़ी फटकार लगाई जा रही है।

कोर्ट ने कहा की रिट याचिका स्वीकार की जाती है। दिनांक 24.1.2020 को ब्लैकलिस्ट करने का आदेश और जिला मजिस्ट्रेट द्वारा दिनांक 14.12.2023 को पारित अन्य विवादित आदेश रद्द किए जाते हैं। याचिकाकर्ता को बिना नोटिस दिए ब्लैकलिस्ट करने और अनिश्चित काल के लिए ब्लैकलिस्टिंग बढ़ाने और वह भी बिना किसी वैधानिक मंजूरी के प्रतिवादियों द्वारा अपनाई गई अवैध प्रक्रिया को देखते हुए, यह न्यायालय पाता है कि यह प्रतिवादियों द्वारा शक्ति का दूषित प्रयोग है।

तदनुसार, याचिकाकर्ता 1,00,000/- रुपये की लागत का हकदार होगा, जिसका भुगतान याचिकाकर्ता को आज से एक महीने की अवधि के भीतर किया जाएगा और ब्लैकलिस्टिंग आदेश को रद्द कर दिया।

वाद शीर्षक – रामराजा कंस्ट्रक्शन इसके मालिक जौहर सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और 4 अन्य
वाद नंबर – 2024 – एएचसी – 94730 – डीबी

Translate »
Scroll to Top