इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिका का निस्तारण करते हुए कहा कि यदि किसी सहायक अध्यापिका को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के गलत आदेश के कारण काम नहीं करने दिया जाता है तो वह अपने पूरे वेतन की हकदार होंगी।
जस्टिस मंजीव शुक्ला की एकल पीठ ने नेहा पटेल की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया।
याचिकाकर्ता ने याचिका के माध्यम से जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, झाँसी द्वारा पारित दिनांक 14.8.2023 के आदेश को चुनौती दी है, जिसके तहत याचिकाकर्ता को वापस जाकर जिला चित्रकूट में शामिल होने का निर्देश दिया गया था।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने प्रस्तुत किया कि अदालत के 31 अक्टूबर, 2023 के आदेश के अनुपालन में याचिका में लगाए गए आदेश को वापस ले लिया गया है और याचिकाकर्ता को 9.11.2023 को जिला झाँसी में शामिल होने की अनुमति दी गई है।
यह भी बताया गया कि याचिकाकर्ता को भी 21 नवंबर, 2023 को एक विशेष स्कूल आवंटित किया गया है।
इस स्तर पर याचिकाकर्ता की ओर से उपस्थित वकील ने प्रस्तुत किया है कि चूंकि अधिकारियों ने स्वयं दिनांक 14.08.2023 के आदेश को वापस ले लिया है, जिसे याचिका में चुनौती दी गई है, इसलिए, याचिकाकर्ता की जिला-झांसी में ज्वाइनिंग उस तारीख से मानी जाएगी जब पहले उसे ज्वाइन करने की अनुमति दी गई थी। जिला-झाँसी अर्थात दिनांक 4.7.2023 से।
प्रतिवादी क्रमांक 3, 4 और 6 की ओर से उपस्थित वकील अर्चना सिंह को याचिकाकर्ता की ओर से उपस्थित वकील द्वारा की गई उपरोक्त दलील पर कोई आपत्ति नहीं है।
उपरोक्त दलीलों के मद्देनजर, न्यायालय ने इस निर्देश के साथ याचिका का निपटारा कर दिया कि याचिकाकर्ता की जिला झाँसी में ज्वाइनिंग 4.7.2023 से मानी जाएगी और याचिकाकर्ता को वेतन सहित परिणामी सेवा लाभ भी दिया जाएगा।