⚖️ इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वकील और डॉक्टर के खिलाफ दर्ज केस किया रद्द, कहा – “बदले की भावना से लगाए गए आरोप”
मामला:
🔸 रमेश कुमार श्रीवास्तव व अन्य बनाम राज्य सरकार (तथा अन्य)
🔸 न्यूट्रल सिटेशन: 2025:AHC-LKO:19831
🔸 पीठ: न्यायमूर्ति श्री प्रकाश सिंह की एकल पीठ
🔸 धारा: CrPC की धारा 482 के तहत दायर याचिका
🧾 संक्षिप्त तथ्य (Brief Facts):
- घटना का वर्ष: 2007
- आरोप: याचिकाकर्ता संख्या 2 (एक डॉक्टर) पर लापरवाही से ऑपरेशन करने का आरोप था, जिससे शिकायतकर्ता के शरीर में कैंसर विकसित हुआ।
- आरोप था कि जब शिकायतकर्ता मुआवज़े की मांग को लेकर धरने पर बैठी थीं, और शौचालय से लौट रही थीं, तब याचिकाकर्ताओं ने जान से मारने की नीयत से उन्हें मोटरसाइकिल से टक्कर मारी।
- पीड़िता को धमकी भी दी गई थी कि वह धरना छोड़ दें वरना गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
- उनके बाएं हाथ की कुहनी टूट गई और 6 हफ्तों तक प्लास्टर लगा रहा।
- याचिकाकर्ताओं के खिलाफ IPC की धारा 325 (स्वेच्छा से गंभीर चोट पहुंचाना) और धारा 506 (आपराधिक धमकी) के तहत केस दर्ज हुआ।
- मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) की रिपोर्ट के अनुसार, शिकायतकर्ता बाद में कैंसर से पीड़ित रहते हुए चल बसीं।
🧠 हाईकोर्ट की टिप्पणी और तर्क (Reasoning):
- कोर्ट ने कहा कि सिर्फ एफआईआर के आरोपों को नहीं, बल्कि मामले के पूरे संदर्भ और रिकॉर्ड पर मौजूद परिस्थितियों को भी ध्यान से देखना ज़रूरी है।
- अदालत ने माना कि याचिकाकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत सामग्री ठोस और विश्वासयोग्य है, और एक साधारण समझ रखने वाला व्यक्ति भी उन तथ्यों के आधार पर केस को खारिज कर सकता है।
- अभियोजन पक्ष ने भी याचिकाकर्ताओं की दलीलों का प्रभावी खंडन नहीं किया, जिससे स्पष्ट है कि मामला दुर्भावनापूर्ण और प्रतिशोध की भावना से प्रेरित है।
- कोर्ट ने कहा कि यदि यह मामला ट्रायल के लिए आगे बढ़ाया गया तो यह “कानूनी प्रक्रिया का घोर दुरुपयोग होगा” और “न्याय के उद्देश्यों के विपरीत” होगा।
🔚 अंतिम निर्णय:
- हाईकोर्ट ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा जारी समन आदेश और पूरी आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया।
- मामला रद्द कर दिया गया।
⚖️ महत्वपूर्ण पक्षकार:
- याचिकाकर्ताओं की ओर से: एडवोकेट संजय कुमार श्रीवास्तव
- प्रतिकार पक्ष की ओर से: अपर सरकारी अधिवक्ता निर्मल कुमार पांडेय
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