शीर्ष अदालत का सरकारी अधिकारियों से ‘अनुकंपा नौकरी’ के दावों का निर्णय करते समय अत्यधिक भावना सक्रियता से कार्य करने का आह्वान

शीर्ष अदालत का सरकारी अधिकारियों से ‘अनुकंपा नौकरी’ के दावों का निर्णय करते समय अत्यधिक भावना सक्रियता से कार्य करने का आह्वान

शीर्ष अदालत ने कहा कि मृत्यु युवा-वृद्ध या अमीर-गरीब के बीच कोई भेद नहीं करती है

सुप्रीम कोर्ट ने अनुकंपा नौकरी से जुड़े एक वाद पर सुनवाई करते हुए कहा कि मृत्यु युवा-वृद्ध या अमीर-गरीब के बीच कोई भेद नहीं करती है। सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने सरकारी अधिकारियों से अनुकंपा के आधार पर नौकरी के दावों का निर्णय करते समय अत्यधिक सक्रियता की भावना से कार्य करने का आह्वान किया। शीर्ष अदालत ने कहा कि अनुकंपा नौकरी देने के प्रावधान का मकसद मृत कर्मचारी के परिवार को आजीविका के संकट से निपटने में सक्षम बनाना है।

न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ ने कलकत्ता उच्च न्यायलय के एक फैसले के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार की अपील को स्वीकार करते हुए यह टिप्पणी की। हाईकोर्ट ने नगर निगम के उन कर्मचारियों के परिवार के सदस्यों को अनुकंपा नियुक्ति देने का आदेश दिया था, जिनकी सेवाकाल में मृत्यु हो गई थी। शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्य में स्थानीय प्राधिकरणों के तहत अनुकंपा नियुक्ति देने का कोई प्रावधान नहीं है।

अदालत ने कहा कि अगर यह मान भी लिया जाए कि ऐसी कोई नीति मौजूद है, तो यह निर्देश देने का कोई फायदा नहीं होगा कि अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के लिए आवेदन दायर किए जाने के कई साल बाद उन पर विचार किया जाएगा और उन पर निर्णय लिया जाएगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन मृत कर्मचारियों के कानूनी उत्तराधिकारियों द्वारा 2005-2006 में तीन नगर निगमों- बर्धमान, राणाघाट और हाबरा में दायर किए गए थे और तब से लगभग 17-18 साल बीत चुके हैं।

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पीठ ने कहा कि मृत्यु युवा और वृद्ध या अमीर और गरीब के बीच कोई भेद नहीं करती है। मृत्यु जन्म का परिणाम है और प्रत्येक प्राणी के लिए अपरिहार्य है। इस तरह मृत्यु निश्चित है, लेकिन इसका समय अनिश्चित है। अदालत ने कहा कि मृत कर्मचारी हमेशा अपने पीछे बड़ी संपत्ति नहीं छोड़ता है; वह कभी-कभी अपने परिवार के सदस्यों द्वारा सामना की जाने वाली गरीबी को पीछे छोड़ सकता है।

अदालत ने पूछा कि यह सुनिश्चित करने के लिए क्या किया जाना चाहिए कि किसी व्यक्ति की मृत्यु उसके परिवार के लिए आर्थिक परेशानी का सबब न हो। इस संबंध में राज्य सरकार का दायित्व, अपने कर्मचारियों तक सीमित है। अगर किसी कर्मचारी की सेवाकाल में मृत्यु हो जाती है, ऐसे परिवार को तत्काल सहायता प्रदान करने के लिए परिवार के एक पात्र सदस्य की अनुकंपा नियुक्ति का प्रावधान किया जाता है। इस तरह के प्रावधान के लिए समर्थन भारतीय संविधान के भाग-चार के प्रावधानों से लिया गया है, जो कि राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों का अनुच्छेद 39 है।

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