न्यायमूर्ति संजय किशन कौल न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश Bci 25486

बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट में कहा: वकील बनने के लिए नौकरी से इस्तीफा देने की नहीं है जरूरत-

बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट SUPREME COURT में बताया कि लॉ ग्रेजुएट्स को बीसीआई BAR COUNCIL OF INDIA में नामांकन कराने के लिए नौकरी से इस्तीफा देने की जरूरत नहीं है। ऐसे लोग जो पहले से दूसरे किसी व्यवसाय से जुड़े हैं वो अगर वकालत ADVOCACY करना चाहते हैं तो उनके लिए अलग से प्रावधान किया गया है। बार काउंसिल की नामांकन परीक्षा पास करने बाद उन्हें इसके लिए मौका दिया जाता है।

बार कौंसिल ऑफ़ इंडिया की नामांकन प्रक्रिया में सुधार पर SC कर रहा विचार बीसीआई की सामान्य परिषद ने 8 जुलाई को एक निर्णय लिया था जिसे पिछले सप्ताह दायर एक हलफनामे के माध्यम से अदालत को अवगत कराया। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट नामांकन प्रक्रिया में कई सुधारों पर विचार कर रही है। ऐसे में बार काउंसिल ऑफ इंडिया के हलफनामें के आधार पर कही गई बातों पर अगर सुप्रीम कोर्ट आगे बढ़ता है तो लॉ ग्रेजिएट्स को काफी राहत मिल सकेगी।

गुजरात हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ बीसीआई की अपील में एमिकस क्यूरी सीनियर एडवोकेट केवी विश्वनाथन ने यह सुझाव दिया था। गुजरात हाईकोर्ट ने अपने फैसले में अन्य रोजगार वाले व्यक्तियों को अपनी नौकरी से इस्तीफा दिए बिना एडवोकेट के रूप में नामांकन करने की अनुमति दी थी।

वकील बनने के लिए इस्तीफा देने की जरूरत नहीं-

BCI बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने कहा कि अन्य व्यवसायों में कार्यरत लॉ ग्रेजुएट्स को वकील के रूप में नामांकन से पहले इस्तीफा देने की आवश्यकता नहीं है। बीसीआई ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि ऐसे लोगों को अपनी नौकरी छोड़ने के लिए छह महीने का समय दिया जाएगा। यह समय उन्हें बीसीआई की नामांकन परीक्षा पास करने के बाद दिया जाएगा।

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सुप्रीम कोर्ट में रखी गई बात अधिवक्ता दुर्गा दत्त के माध्यम से दायर हलफनामे में बीसीआई ने कहा ‘परिषद ने गहन विचार-विमर्श और मुद्दों पर विचार करने के बाद इस न्यायालय द्वारा दिए गए सुझावों को स्वीकार कर लिया है और यह संकल्प लिया है कि प्रत्येक राज्य बार काउंसिल में तीन रजिस्टर होंगे – ए, बी और सी ।

सुप्रीम में याचिका पर हो रही सुनवाई शीर्ष अदालत गुजरात उच्च न्यायालय के नवंबर 2020 के फैसले के खिलाफ बीसीआई द्वारा दायर एक अपील पर सुनवाई कर रही है। जिसमें एक महिला को अपनी नौकरी जारी रखते हुए अखिल भारतीय बार परीक्षा (AIBE) लेने की अनुमति दी गई थी। जबकि बीसीआई के नियम के अनुसार बार काउंसिल में नामांकन से पहले उसे अपनी नौकरी से इस्तीफा देना होगा। जबकि महिला ट्विंकल मनगांवकर के पति के मृत्यु के बाद जब उसने बीसीआई रजिस्ट्रेशन कराना चाहा लेकिन वो अपनी आर्थित स्थिति के कारण पुरानी जॉब से इस्तीफा नहीं दे सकी। याचिकाकर्ता ने मां की है उसे बीसीआई में बिना पुरानी नौकरी छोड़े रजिस्ट्रेशन की अनुमति दी जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने बार काउंसिल के नियमों पर जताई थी नाराजगी शीर्ष अदालत ने भी बीसीआई द्वारा बनाए गए ऐसे नियमों पर नाराजगी जताई और सुझाव दिया था कि परीक्षा देने वाले व्यक्ति को अखिल भारतीय बार परीक्षा (AIBE) को मंजूरी देने के बाद एक निश्चित समय अवधि के भीतर इस्तीफा देने की अनुमति दी जानी चाहिए।

केस टाइटल – बार काउंसिल ऑफ इंडिया बनाम ट्विंकल राहुल मंगोनकर और अन्य
केस नंबर – सिविल अपील नंबर 816-817 ऑफ 2022

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कोरम – न्यायमूर्ति संजय किशन कौल न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश

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