Bar Council of India (बार काउंसिल ऑफ इंडिया) ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति दिनांक 22/11/2021 के माध्यम से मोटर ऐक्सिडेंट और वर्क्मेन कॉम्पन्सेशन के फर्जी दावा मामले दर्ज करने के कदाचार में लिप्त यूपी के 28 अधिवक्ताओं को निलंबित करने का निर्णय लिया है।
प्रेस विज्ञप्ति में उल्लेख किया गया है कि पहले सफीक अहमद बनाम आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस मामले में जस्टिस एमआर शाह और संजीव खन्ना की बेंच ने फर्जी दावा दायर करने वाले वकीलों की समस्या को गंभीरता से लिया था।
हाईकोर्ट के निर्देश के बाद मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया था लेकिन ज्यादातर मामले लंबित थे और करीब 223 संदिग्ध दावे हैं।
फर्जी दुर्घटना मुवायाजा केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था –
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने 16.11.2021 के एक आदेश में कहा कि 05.10.2021 के पहले के आदेश में कड़ी टिप्पणियों के बावजूद बार काउंसिल ऑफ यूपी की ओर से कोई भी पेश नहीं हुआ है। खंडपीठ ने कहा कि इस तरह के गंभीर मामले में जहां अधिवक्ताओं के खिलाफ फर्जी दावा याचिका दायर करने के आरोप हैं, सख्त टिप्पणियों के बावजूद बार काउंसिल ऑफ यूपी अपने वकील को निर्देश न देकर “उदासीनता और असंवेदनशीलता” दिखा रही है। 16 नवंबर 2021 को भी बार काउंसिल ऑफ यूपी की ओर से कोई पेश नहीं हुआ।
19.11.2021 को आयोजित बार एसोसिएशन की आम परिषद की बैठक का संदर्भ दिया भी दिया है, मामले के संबंध में दो सूचियों को पहले उन वकीलों के नाम माना गया जिनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है और जिनके खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया है।
28 वकीलों को निलंबित करने का फैसला किया है-
बार कौंसिल ऑफ़ इंडिया द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया की जनरल काउंसिल ने 19 नवंबर की अपनी बैठक में इसलिए दो सूचियों पर कोर्ट के आदेश पर विधिवत विचार किया: उन अधिवक्ताओं का विवरण जिनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गई है। उन अधिवक्ताओं का विवरण जिनके खिलाफ जांच के बाद संबंधित न्यायालयों में आरोप पत्र दायर किया गया है (जो एसआईटी द्वारा बार काउंसिल ऑफ इंडिया को 16.11.2021 को ईमेल के माध्यम से प्रदान किया गया था।)
प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि बार काउंसिल ने सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद 28 वकीलों को निलंबित करने का फैसला किया है, जिनके खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया है। बार काउंसिल ऑफ यूपी को भी इन वकीलों के खिलाफ जांच करने और तीन महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है।