बिशप फ्रैंको मुलक्कल 105 दिन बाद 14 बार नन के साथ बलात्कार केस में कोर्ट से बरी-

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केरल नन रेप केस (Nun’s Rape In Kerala) में फैसला सुनाते हुए जिला अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने बिशप फ्रैंको मुलक्कल को बरी कर दिया है।

105 दिनों तक चले इस मुक़दमे में अब जा कर फैसला आया है और जिला अदालत के न्यायाधीश जी गोपकुमार ने कहा कि बिशप को सबूतों के अभाव में मुक्त कर दिया गया है।

सुबह साढ़े नौ बजे बिशप फ्रेंको को कोर्ट में पेश किया गया। वह अपने भाई और साले के साथ पहुंचे और पिछले दरवाजे से अदालत में दाखिल हुए।

कोर्ट कोट्टायम डीवाईएसपी के मार्गदर्शन में तैनात पुलिसकर्मियों से घिरा हुआ था। बम व डॉग स्क्वायड ने कोर्ट रूम का निरीक्षण किया। कोर्ट परिसर में बेरिकेड्स लगाए गए थे।

बिशप के खिलाफ पुलिस ने 2018 में कोट्टायम जिले में बलात्कार का मामला दर्ज किया था और मुलक्कल को 21 सितंबर, 2018 को बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

जून 2018 में पुलिस को दी गई अपनी शिकायत में, मिशनरीज ऑफ जीसस मण्डली से संबंधित नन ने आरोप लगाया था कि रोमन कैथोलिक चर्च के जालंधर सूबा के तत्कालीन बिशप फ्रेंको द्वारा उसका यौन शोषण किया गया था।

बिशप फ्रैंको पर नन को कैद करने, उनका बलात्कार करने और अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के बाद नन को धमकाने का भी आरोप था।

मामले की वर्ष 2019 में सुनवाई प्रारम्भ हुई थी और 3 वर्ष पहले दायर की गई चार्जशीट में 83 गवाहों के बयानों के साथ-साथ लैपटॉप फोन और 30 अन्य प्रमाण भी जोड़े गए थे।

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मामले को लेकर निर्णय न्यायाधीश जी गोपकुमार कोट्टायम ने सुनाया। न्यायालय में बिशप फ्रैंको का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील बी रमन पिल्लई, सीएस अजयन, सुजेश मेनन, महेश बानो निबू और अखिल थे।

बिशप फ्रेंको मुलक्कल के वकील अजयन ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा-

“सामने वाला पक्ष अपने मामले को साबित करने में बुरी तरह विफल रहा। पीड़िता द्वारा 4 साल बाद इस इस मुद्दे को उठाया गया। बहस के दौरान उनके सबूत झूठे साबित हुए, अभियोजन पक्ष द्वारा एक ठोस चिकित्सा प्रमाण पत्र तक भी पेश नहीं किया जा सका।”

वहीं ,नन बलात्कार मामले में जाँच का नेतृत्व करने वाले एसपी हरिशंकर ने आगे अपील करने की बात कही।

न्यायालय के निर्णय को लेकर तत्कालीन कोट्टायम ज़िला पुलिस प्रमुख एस हरीशंकर ने यह भी कहा कि वे न्यायालय के इस निर्णय से अचंभित हैं क्योंकि इस मामले में पुख़्ता सबूत हैं और कोई गवाह अपने बयान से मुकरा तक नहीं था।

न्यायालय द्वारा बिशप को इस प्रकार मुक्त करना पीड़ित नन के लिए काफी आहत करने वाला निर्णय है।

बता दें कि इस मामले में यह सामने आया था कि वर्ष 2014 के बाद फ्रैंको मुलक्कल ने नन के साथ करीब 14 बार बलात्कार किया था। कुछ समय पूर्व नन सिस्टल लूसी के साथ वेटिकन के चर्च द्वारा भी अन्याय किया गया था।

वेटिकन ने भी किया अन्याय-

दरअसल सिस्टर लूसी को बिशप फ्रैंको के विरुद्ध शिकायत करने के कारण अगस्त 2019 में चर्च ने बर्खास्त कर दिया था और कॉन्वेंट से निकालकर उन्हें परिसर खाली करने के लिए भी आदेश दिए गए थे।

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इसके विरुद्ध जब उन्होंने ईसाइयों के सबसे बड़े स्थल माने जाने वाले वेटिकन में अर्ज़ी लगाई थी तो उन्होंने भी इस विषय में कुछ कार्रवाई न करते हुए उनकी याचिका को खारिज कर दिया था।

इसके बाद सिस्टर लूसी ने इस विषय में केरल उच्च न्यायालय में भी अर्ज़ी लगाई थी, जिसमें उनका कहना था-

“कृपया समझें कि मैं 39 साल से नन हूँ। मेरी ननशिप जारी रखने के लिए मेरे लिए कॉन्वेंट में रहना महत्वपूर्ण है। मैं न्याय के लिए लड़ रही एक नन हूँ। मुझे सड़क पर मत फेंको।”

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