Delhi High Court महिला ने दावा किया कि उसे कभी कोई मानसिक या शारीरिक बीमारी नहीं हुई है. कोर्ट ने उन्हें मेडिकल बोर्ड से जांच करवाने को कहा. लेकिन महिला ने मेडिकल टेस्ट कराने से भी इनकार कर दिया. याचिका में शख्स ने कहा कि उनकी शादी 10 दिसंबर, 2005 को हुई थी. उन्होंने आरोप लगाया ये शादी धोखाधड़ी से की गई.
न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की खंडपीठ ने कहा कि शख्स का जीवन बर्बाद हो गया है और वो बिना किसी संकल्प के 16 वर्ष से इस रिश्ते में फंसा हुआ है.
शादी को लेकर हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने कहा कि भारत में विवाह का अत्यधिक सम्मान किया जाता है. हम ऐसे राष्ट्र में हैं जो विवाह की मजबूत नींव पर गर्व करता है. ऐसे विवाह से पहले किसी भी पक्ष द्वारा बीमारी को छिपाना धोखा है और यह शादी को रद्द का कारण बनता है.
हाईकोर्ट ने कहा, ‘शादी केवल सुखद यादों और अच्छे समय से नहीं बनती है, और एक शादी में दो लोगों को चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. ऐसे साथी के साथ रहना आसान नहीं है, जिसे मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं, और इस तरह की बीमारियां समस्या का सामना करने वाले व्यक्ति के लिए अपनी चुनौतियों के साथ आती हैं, और इससे भी ज्यादा जीवनसाथी के लिए.’
एक्यूट सिजोफ्रेनिया से पीड़ित थी युवती-
पति ने दायर याचिका में कहा उसका विवाह 10 दिसंबर 2005 को हुआ. उसने कहा ससुराल पक्ष ने उसे पत्नी की बीमारी छिपा कर धोखा दिया. महिला शादी से पहले और अपीलकर्ता के साथ रहने के दौरान एक्यूट सिजोफ्रेनिया से पीड़ित थी. प्रतिवादी ने अपनी शादी के बाद घर में और हनीमून के दौरान असामान्य तरीके से व्यवहार किया. जनवरी 2006 को उसने महिला को जीबी पंत अस्पताल, मानव व्यवहार और संबद्ध विज्ञान संस्थान, एम्स, हिंदू राव अस्पताल में दिखाया. हिन्दू राव अस्पताल के डॉक्टर को देख महिला ने माना कि उक्त डॉक्टर ने मुझे पहले दवा दी है. डॉक्टरों ने माना कि वह एक्यूट सिजोफ्रेनिया से पीड़ित है.
शख्स ने कोर्ट से कहा कि उसने महिला को कई डॉक्टरों को दिखाया था. वे सिज़ोफ्रेनिया से पीड़ित थी. उन्होंने कहा कि महिला शादी के नौ हफ्ते बाद ही 17 फरवरी 2006 से अपने माता-पिता के साथ रह रही है.
धोखा देकर हुई शादी सही कैसे-
मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई, जहां दो जजों की पीठ ने शादी के रिश्ते को लेकर बड़ी टिप्पणी की. पीठ ने कहा सिरदर्द- अपने आप में कोई बीमारी नहीं है. वे केवल एक बीमारी के लक्षण हैं. महिला ने यह नहीं बताया कि किस कारण से उसे इतना गंभीर और लगातार सिरदर्द हुआ, जिसने उसे अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी.
पीठ ने कहा मानसिक विकार से पीड़ित व्यक्ति के बच्चों पर भी इस असर पड़ सकता है. विवाह के करीब नौ सप्ताह बाद ही उसका पिता उसे अपने घर ले गया.
बिना किसी संकल्प का रिश्ता-
पीठ ने कहा इस प्रक्रिया में दुर्भाग्य से अपीलकर्ता पति का जीवन बर्बाद हो गया है और वह बिना किसी संकल्प के 16 साल से इस रिश्ते में फंसा हुआ है. अपने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण वर्षों में जब अपीलकर्ता, वैवाहिक आनंद और संतुष्टि का आनंद लेता, उसे न केवल महिला बल्कि उसके पिता द्वारा प्रदर्शित हठ के कारण पीड़ित होना पड़ा.
भारत में धोखेवाली शादी के मामले अधिक-
शादी को लेकर कोर्ट का यह फैसला अपने आप में बड़ा उदाहरण बन सकता है. क्योंकि भारत में आज भी कई शादियां धोखे में रखकर कराई जाती है. फिर चाहे वह किसी बीमारी के कारण हो, या झूठी नौकरी या प्रॉपर्टी दिखाकर शादी करना हो. अक्सर धोखे से हुई शादी में दंपति के रिश्तों मे सालों तक खटास बनी रहती है.
कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि शादी से पहले किसी बिमारी को छिपाना धोखा है. अदालत ने फैमिली कोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए 16 साल साल पुरानी एक शादी को भी खत्म करने का फैसला सुनाया. इस मामले में एक महिला ने अपनी मानसिक बीमारी के बारे में पति को नहीं बताया था. कोर्ट ने बीमारी को छिपाकर की गई शादी को धोखा करार दिया.
न्यायालय ने आदेश किया की पति की जो अपील है उसे स्वीकार किया जाता है और शादी को भी रद्द किया जाता है और साथ ही साथ कास्ट के रूप में 10000₹ भी पति के लिये मंजूर किए.
केस टाइटल – संदीप अग्रवाल बनाम प्रियंका अग्रवाल
केस नंबर – MAT. APP. (F.C.) 142/2020
कोरम – न्यायमूर्ति विपिन सांघी न्यायमूर्ति जसमीत सिंह