भले ही पिता कुछ कमाते हों; अपने वृद्ध पिता का भरण-पोषण करना पुत्र का पवित्र कर्तव्य, बेटे को आदेश कि वह पिता को हर महीने दे 3000 रुपये : High Court

भले ही पिता कुछ कमाते हों; अपने वृद्ध पिता का भरण-पोषण करना पुत्र का पवित्र कर्तव्य, बेटे को आदेश कि वह पिता को हर महीने दे 3000 रुपये : High Court

झारखंड उच्च न्यायलय ने एक मामले की सुनवाई करते हुए अपने एक फैसले में आदेश दिया है कि बेटे को हर हाल में अपने बुजुर्ग पिता Old Father को गुजारे Maintenance के लिए रकम देनी होगी। हाई कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के उस फैसले पर मुहर लगाई, जिसमें बेटे को आदेश दिया गया था कि उसे अपने पिता को हर महीने 3000 रुपये बतौर भरण-पोषण देने होंगे।

इस फैसले कि खिलाफ मनोज कुमार @मनोज साओ नेझारखंड उच्च न्यायलय का दरवाजा खटखटाया था।

जस्टिस सुभाष चंद ने अपने फैसले में कहा, “हालांकि दोनों पक्षों द्वारा पेश किए गए सबूतों से यह पता चलता है कि पिता के पास कुछ कृषि भूमि है, फिर भी वह उस पर खेती करने में लाचार हैं। वह अपने बड़े बेटे पर भी निर्भर हैं, जिसके साथ वह रहते हैं। पिता ने पूरी संपत्ति में अपने छोटे बेटे मनोज साव को बराबर-बराबर का हिस्सा दे दिया है, लेकिन 15 साल से अधिक समय से उनका भरण-पोषण उनके छोटे बेटे मनोज ने नहीं किया है। भले ही पिता कुछ कमाते हों; अपने वृद्ध पिता का भरण-पोषण करना पुत्र का पवित्र कर्तव्य है।”

हिंदू धर्म Hindu Dharma में माता-पिता Mother-Father के महत्व को रेखांकित करते हुए जस्टिस चंद ने अपने आदेश में लिखा, “यदि आपके माता-पिता मजबूत हैं तो आप मजबूती महसूस करते हैं, यदि वे दुखी हैं तो आप दुखी महसूस करेंगे। पिता आपके ईश्वर हैं और माँ आपकी स्वरूप। वे बीज हैं और आप पौधा हैं। उनमें जो भी अच्छा या बुरा है, यहां तक कि निष्क्रियता भी, वह आपके अंदर एक वृक्ष बन जाएगा। तो आपको अपने माता-पिता की अच्छाई और बुराई दोनों विरासत में मिलती हैं। किसी भी व्यक्ति पर जन्म लेने के कारण कुछ ऋण होते हैं और उसमें पितृऋण और मातृऋण (आध्यात्मिक) भी शामिल होता है जिसे हमें हर हाल में चुकाना होता है।”

ALSO READ -  वादी को वकील के सिर पर सारा दोष मढ़ने और इस तरह किसी भी समय उसे अस्वीकार करने और राहत मांगने की अनुमति नहीं दी जा सकती: सुप्रीम कोर्ट

कोर्ट ने कहा-

“हिंदू धर्म में माता-पिता के महत्व को दर्शाया गया है, जिसे इस प्रकार उद्धृत किया गया है: ‘यदि आपके माता-पिता आश्वस्त हैं तो आप आश्वस्त महसूस करते हैं, यदि वे दुखी हैं तो आप दुखी महसूस करेंगे। पिता तुम्हारा ईश्वर है और माँ तुम्हारा स्वरूप है। वे बीज हैं आप पौधा हैं। नहीं, उनमें जो भी अच्छा या बुरा है, यहां तक कि निष्क्रिय भी, वह आपके अंदर एक वृक्ष बन जाएगा। तो आपको अपने माता-पिता की अच्छाई और बुराई दोनों विरासत में मिलती हैं। जन्म लेने के कारण व्यक्ति पर कुछ ऋण होते हैं और उनमें पिता और माता का ऋण (आध्यात्मिक) भी शामिल होता है जिसे हमें चुकाना होता है।”

इसके अलावा, अदालत ने कहा कि महाभारत में, जब पूछा गया कि पृथ्वी से अधिक शक्तिशाली और आकाश से ऊंचा क्या है, तो युधिष्ठिर ने कहा, “मां पृथ्वी से अधिक वजनदार है; बाप स्वर्ग से भी बड़ा है।

इससे पूर्व फैमिली कोर्ट ने छोटे बेटे को आदेश दिया था कि वह अपने पिता को हर महीने 3000 रुपये गुजारे के लिए दे। छोटे बेटे ने इसके खिलाफ अपील की थी। फैमिली कोर्ट में याचिकाकर्ता पिता ने अपने छोटे बेटे के खिलाफ आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के तहत भरण-पोषण आवेदन दायर किया था। पिता ने अपनी अर्जी में दावा किया था कि उनके दो बेटे हैं और उनका छोटा बेटा झगड़ालू है। वह उनसे क्रूर व्यवहार करता है,और मारपीट भी करता है।

याचिकाकर्ता पिता ने दावा किया था कि उन्होंने 21 फरवकी 1994 को अपने दोनों बेटों के बीच 3.985 एकड़ जमीन बराबर-बराबर बांट दी थी। याचिका में कहा गया है कि बड़ा बेटा पिता को आर्थिक सहायता देता है, जबकि छोटा बेटा पिती की उपेक्षा करता है और कई बार मारपीट भी कर चुका है। पिता ने दावा किया था कि छोटा बेटा गांव में दुकान से करीब 50,000 रुपये हर महीने कमाता है, इसके अलावा खेतीबारी से भी सालाना 2 लाख रुपये कमाता है। बुजुर्ग पिता ने छोटे बेटे से 10,000 रुपये हर महीने गुजारा भत्ता देने की गुहार लगाई थी। इस पर परिवार अदालत ने बेटे को आदेश दिया था कि वह पिता को हर महीने 3000 रुपये दे।

ALSO READ -  'जहर से मौत': सुप्रीम कोर्ट ने अपनी पत्नी की हत्या करने के आरोपी व्यक्ति की दोषसिद्धि और आजीवन कारावास को किया खारिज

केस टाइटल – मनोज कुमार @मनोज साओ बनाम झारखंड राज्य और अन्य

Translate »
Scroll to Top