बलपूर्वक धर्मांतरण गंभीर अपराध, आपसी समझौते के आधार पर नहीं रोकी जा सकती न्यायिक प्रक्रिया: इलाहाबाद हाईकोर्ट

बलपूर्वक धर्मांतरण गंभीर अपराध, आपसी समझौते के आधार पर नहीं रोकी जा सकती न्यायिक प्रक्रिया: इलाहाबाद हाईकोर्ट

बलपूर्वक धर्मांतरण गंभीर अपराध, आपसी समझौते के आधार पर नहीं रोकी जा सकती न्यायिक प्रक्रिया: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि बलपूर्वक किया गया धर्मांतरण एक गंभीर अपराध है और इस आधार पर अदालत आपसी समझौते के तहत आपराधिक कार्यवाही को निरस्त नहीं कर सकती

यह आदेश न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान की एकलपीठ ने उस याचिका पर दिया, जिसमें आरोपी ने अपने खिलाफ दर्ज आरोपपत्र और संपूर्ण न्यायिक कार्यवाही को निरस्त करने की मांग की थी। आरोपी के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता, 1860 (IPC) की धारा 420, 323, 376 और 344 तथा उत्तर प्रदेश धर्मांतरण निवारण अधिनियम, 2020 की धारा 3 और 4 के तहत मामला दर्ज किया गया था


न्यायालय की टिप्पणी

अदालत ने अपने फैसले में स्पष्ट रूप से कहा कि बलपूर्वक, धोखे या अनुचित प्रभाव द्वारा किया गया धर्मांतरण एक गंभीर अपराध है, जिसे आपसी समझौते के आधार पर समाप्त नहीं किया जा सकता। न्यायालय ने कहा कि धर्म परिवर्तन के मामलों में व्यक्ति का आंतरिक परिवर्तन और सच्ची धार्मिक आस्था आवश्यक होती है

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता वेद प्रकाश मिश्रा, जबकि प्रतिवादी पक्ष की ओर से अधिवक्ता विजय कुमार तिवारी और प्रमोद कुमार सिंह उपस्थित रहे।


मामले के तथ्य

इस प्रकरण में 2021 में पीड़िता द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर के आधार पर तीन आरोपियों पर मामला दर्ज किया गया था। पीड़िता ने आरोप लगाया कि उसकी फेसबुक के माध्यम से राहुल कुमार नामक व्यक्ति से मित्रता हुई, जिसने उसका मोबाइल नंबर प्राप्त कर बार-बार कॉल करना शुरू किया। लगभग एक वर्ष की बातचीत के बाद, आरोपी ने शादी का प्रस्ताव रखा

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पीड़िता के अनुसार, आरोपी के कहने पर वह रामपुर से नवाबनगर पहुंची, जहां उसे आरोपी के घर छह महीने तक बंधक बनाकर रखा गया। बाद में, उसे पता चला कि आरोपी वास्तव में एक मुस्लिम युवक मोहम्मद अयान है। जब पीड़िता ने शादी से इनकार किया, तो आरोपी ने उसके साथ मारपीट की और जबरन शारीरिक संबंध बनाए

पीड़िता ने आगे आरोप लगाया कि छह महीने तक उसे अवैध रूप से बंधक बनाकर रखा गया और अन्य दो व्यक्तियों ने भी उसके साथ बलात्कार किया। किसी तरह वहां से भागने के बाद उसने प्राथमिकी दर्ज कराई।

एफआईआर में यह भी कहा गया कि आरोपी सोशल मीडिया के माध्यम से हिंदू लड़कियों को प्रेम जाल में फंसाकर उनका शोषण करता था। पीड़िता ने यह भी दावा किया कि मदरसा से हिंदू लड़कियों को फंसाने के लिए पैसे दिए जाते थे, जिसका खुलासा आरोपी ने खुद किया था।


न्यायालय का तर्क

उक्त मामले में उच्च न्यायालय ने कहा कि यौन शोषण और बलात्कार जैसे अपराधों को निजी समझौते के आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता

अदालत ने कहा कि बलात्कार एक गैर-समझौतावादी अपराध (Non-Compoundable Offence) है, जो समाज के विरुद्ध अपराध की श्रेणी में आता है।

“बलात्कार या गंभीर अपराधों में किया गया समझौता न्यायालय के लिए बाध्यकारी नहीं होता। पीड़िता द्वारा दिया गया समझौता सहमति पूर्ण रूप से स्वैच्छिक है या नहीं, इसकी कोई गारंटी नहीं होती। ऐसा भी हो सकता है कि उसे दबाव में समझौते के लिए बाध्य किया गया हो।”


अदालत का महत्वपूर्ण निष्कर्ष

  1. धर्मांतरण तब तक वैध नहीं माना जा सकता जब तक व्यक्ति अपने स्वविवेक और आस्था से इसे स्वीकार न करे।
  2. यदि धर्म परिवर्तन किसी विशेष उद्देश्य की प्राप्ति, विवाह से बचने या किसी अन्य लाभ हेतु किया गया हो, तो यह धर्मांतरण वैध नहीं माना जाएगा।
  3. बलात्कार, हत्या, डकैती, भ्रष्टाचार जैसे गंभीर अपराधों में आरोपी और पीड़ित के बीच समझौते का कोई कानूनी महत्व नहीं होता।
  4. ऐसे गंभीर अपराधों को समाज के विरुद्ध अपराध माना जाता है, इसलिए न्यायालय के पास इन्हें निरस्त करने की कोई शक्ति नहीं होती।
  5. किसी महिला की अस्मिता और गरिमा से जुड़े अपराधों में समझौते का कोई औचित्य नहीं हो सकता।
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अदालत ने स्पष्ट किया कि उत्तर प्रदेश धर्मांतरण निवारण अधिनियम, 2020 का उद्देश्य धोखाधड़ी, बलपूर्वक, लालच, अनुचित प्रभाव या जबरदस्ती द्वारा किए गए धर्मांतरण को रोकना है

न्यायालय ने आरोपी की याचिका खारिज कर दी और आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने से इनकार कर दिया।


निष्कर्ष

इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बलपूर्वक धर्मांतरण को गंभीर अपराध करार दिया और स्पष्ट किया कि इस तरह के मामलों में कोई आपसी समझौता मान्य नहीं होगाबलात्कार और अन्य गंभीर अपराधों को समाज के विरुद्ध अपराध मानते हुए न्यायालय ने कहा कि इन्हें रद्द करने का कोई कानूनी आधार नहीं हो सकता

वाद शीर्षक – तौफीक अहमद बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य

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