अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद पार्क क्षेत्र में निर्मित कृत्रिम कब्रों, मजारों या मस्जिद सहित सभी अवैध अतिक्रमणों पर मांगी गजेटियर की कॉपी – हाई कोर्ट

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा कि चंद्रशेखर आज़ाद पार्क में विभिन्न स्थानों पर बहुत सारे निर्माण मौजूद हैं, जिन्हें पहले अल्फ्रेड पार्क और कंपनी गार्डन के रूप में जाना जाता था, जिसके लिए कोई स्पष्टीकरण उपलब्ध नहीं है।

मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति मुनीर की पीठ मुस्लिम समुदाय पर चंद्रशेखर आजाद पार्क में मजार और कृत्रिम कब्रें बनाने का आरोप लगाने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

इस मामले में याचिकाकर्ता जितेंद्र सिंह हैं जिन्होंने आरोप लगाया कि मुस्लिम समुदाय के कुछ लोग पार्कलैंड को कब्रिस्तान में बदलने के लिए कृत्रिम कब्रें बना रहे थे और चंद्रशेखर आजाद पार्क में स्थित एक इमारत को मस्जिद में बदलने की कोशिश भी कर रहे थे।

याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि पार्क को कभी भी मृतकों को दफनाने के लिए वक्फ संपत्ति के रूप में इस्तेमाल नहीं किया गया था, और वहां कोई मस्जिद भी नहीं थी।

दायर याचिका में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश सरकार ‘उत्तर प्रदेश पार्क, खेल के मैदान और खुले स्थान (संरक्षण और विनियमन) अधिनियम 1975’ में निहित प्रावधानों के अनुसार आजाद पार्क का रखरखाव करने के लिए बाध्य है।

याचिका में याचिकाकर्ता द्वारा कहा गया है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अरुण कुमार बनाम नगर महापालिका [सिविल विविध 1986 की रिट याचिका संख्या 19296] मामले में ऐतिहासिक आज़ाद पार्क की सुरक्षा, संरक्षण, रखरखाव और विकास के लिए सख्त आदेश जारी किए थे।

विद्वान अतिरिक्त महाधिवक्ता श्री मनीष गोयल ने बताया कि यह एक निजी भूमि सर्वेक्षक परियोजना परामर्श अभियंता द्वारा बनाई गई एक लेआउट योजना तैयार की थी।

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उच्च न्यायालय ने कहा था कि जिस तरह से योजना तैयार की गई है वह आवश्यकताओं को पूरा नहीं करती है। जाहिर है, वह इस प्रक्रिया से अवगत नहीं है कि लेआउट योजना कैसे तैयार की जाए और किंवदंतियों को कैसे दिखाया जाए।

पीठ ने रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया कि वह गजेटियर की उक्त प्रतियां प्राप्त करने के लिए उक्त पुस्तकालयों और संग्रहालयों के साथ समन्वय स्थापित करें और सभी प्रतियां प्राप्त करें।

साथ ही, उपरोक्त संग्रहालयों एवं पुस्तकालयों के प्रभारी को निदेश दिया जाता है कि वे बिना किसी विलम्ब के उनकी प्रतियों की आपूर्ति करने में सहायता करें।

जानकारी हो कि इसी मामले में पूर्व कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मुनीश्वर नाथ भंडारी और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने इलाहाबाद लेडीज क्लब बनाम जितेंद्र नाथ सिंह और अन्य (2007) 11 एससीसी 609 में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का उल्लेख करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिया कि पार्क में सभी अवैध अतिक्रमण जो 1975 के बाद आए, को दो दिनों के भीतर ध्वस्त कर देना चाहिए।

कोर्ट ने मामले को पुनः 1 सितंबर 2022 को सूचीबद्ध किया।

केस टाइटल – जितेंद्र सिंह विशन और एक अन्य बनाम यू.पी. राज्य और अन्य
केस नम्बर – जनहित याचिका (पीआईएल) संख्या – 2021 का 926

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